नई दिल्ली : यूपी में मोदी के बढ़ते कदम को थामने के लिए कांग्रेस ने 2019 के युद्ध के लिए तैयार अपना बह्रमास्त्र वक़्त से पहले ही निकाल लिया है. बीजेपी को 2017 के विधान सभा चुनाव में पराजित करने के लिए राहुल और सोनिया अपने चाणक्य प्रशांत किशोर के प्लान पर सहमत हो गए हैं. चाणक्य प्रशांत चाहते हैं कि प्रियंका गाँधी यूपी के सीएम अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल के साथ संयुक्त रूप से प्रचार करे. इसी तरह राहुल और अखिएश भी दोनों मिलकर रैली करें. अखिलेश और राहु में सीटों के बंटवारे को लेकर पिछले तीन महीनो से लगातार बातचीत चल रही है.
सपा के बवाल ने अखिलेश और राहुल की निकाली हवा
यूं तो सपा में मचे बवाल ने अखिलेश यादव और राहुल के महासंग्राम की हवा पहले ही निकाल दी है लेकिन आज के समीकरण देखते हुए दोनों का साथ मिलकर बीजेपी से लड़ना एक तरह कि मज़बूरी ही है. अखिलेश घर क़ी लड़ाई से टूटे हुए है और राजकुमार राहुल का राजयोग कई बरस से ख़राब चल रहा है.प्रशांत किशोर को मैदान में उतारने के बाद भी कांग्रेस यूपी में मुद्दत्तों से खोई हुई अपनी ज़मीन हासिल नही कर सकी है. राज बब्बर जैसे पिटे हुए सितारे कांग्रेस में यूपी की कमान मज़बूती से संभालने में नाकाम रहे और दिल्ली की करारी हार के बाद शीला दीक्षित जैसा से बुझा चेहरा पार्टी को उत्तर प्रदेश में कोई रौनक नहीं दे सका है. इसलिए प्रशांत के सुझाव पर राहुल ने अखलेश से हाथ मिलाया और प्रियंका गाँधी को स्टार कंपैनर बनाने के लिए गाँधी परिवार राज़ी हो गया.
सपा के उदास चेहरे पर लौटी थोड़ी हंसी
फिलहाल उम्मीदों पर तो दुनिया कायम है. शायद इसीलिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के मिलन से सपा के उदास चेहरे पर थोड़ी हंसी लौटी है, लेकिन यूपी की जमीनी हकीकत यह है कि सपा से कई ज्यादा मजबूत चुनाव बसपा लड़ रही है. बताया जाता है कि सपा का निर्णायक वोट बसपा की तरफ चला गया है. इसलिए इस पुरे धालमेल में सबसे अधिक नुकसान प्रियंका गांधी की छवि को लगेगा.
फीकी पड़ सकती है प्रियंका की जंग
गौरतलब है कि अभी तक प्रियंका गांधी केवल अमेठी और रायबरेली में ही चुनाव प्रचार के लिए जाती रही हैं, लेकिन अगर पूरे यूपी में चुनाव प्रचार के लिए प्रियंका जाती हैं तो स्टार चेहरा वही बन जाएंगी. ऐसे में ये अटकले लगायी जा रही हैं कि अगर सपा- कांग्रेस गठबंधन चुनाव नहीं जीता तो 2019 में भाई राहुल गांधी को पीएम बनाने के लिए उनके प्रचार की जंग लड़ने की तैयारी प्रियंका कर रहीं थी. वह फीकी पड़ जाएगी. बहरहाल कांग्रेसियों का यह भी कहना है कि अभी भी राहुल के पास समय है. पिछले छह महीनों में कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत कुमार कुछ बड़ा धमाका नहीं कर सके हैं. यही नहीं दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री को यूपी में सीएम का चेहरा बनाकर भेजी गयी शीला दीक्षित भी कांग्रेस को तीस साल बाद अपनी खोई हुई जमीन वापस लौटाने के लिए कुछ खास नहीं कर सकी हैं.