लखनऊ : यूपी में अफसरशाही इतनी हावी है की मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद उन कर्मचारियों की छुट्टी नहीं की गयी, जिन्हें हटाए जाने के आदेश शपथ लेने के बाद ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिए थे. गौरतलब है कि ये वो कर्मचारी हैं, जो पूर्व में सेवानिवृत्त हो जाने के सचिवालय और विधानसभा में कार्यरत हैं. इसी का नतीजा है कि जहां सीएम योगी सूबे से भ्रष्टाचार का सफाया करने में जुटे हैं. वहीँ शासन में बिना सेवा विस्तार के काम कर रहे ये कर्मचारी दो का चार बनाने में अभी भी लगे हुए हैं.
पांच दर्जन से अधिक कर्मचारी बिना सेवा विस्तार के कार्यरत
सूत्रों के मुताबिक पिछली सरकार के कार्यकाल में तकरीबन पांच दर्जन से अधिक कर्मचारियों के सेवानिवृत्त हो जाने के बाद उनकी सेवा का विस्तार किया गया था, जिसमें से 18 लोग टेक्निकल थे. लेकिन जैसे ही सपा की सरकार के बाद यूपी में बीजेपी की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाया गया तो उन्होंने सबसे पहले सचिवालय और एनेक्सी का जायजा लिया. इस दौरान उन्हें कार्मिक विभाग से ये भी जानकारी मिली की यहां तकरीबन 60 से अधिक लोग सेवा विस्तार पर कार्य कर रहे हैं. सेवा विस्तार का नाम आते ही सीएम ने ऐसे अधिकारीयों और कर्मचारियों की छुट्टी करने के आदेश जारी कर दिए जो सेवा विस्तार पर सचिवालय में कार्यरत थे.
CM के आदेश की उड़ा रहे हैं खिल्ली
बताया जाता है कि बाद में सीएम योगी को अधिकारीयों ने इस बात से अवगत कराया कि इन कर्मचारियों में से 18 लोग टेक्निकल हैं, जिनके बगैर काम रुक सकता है. नतीजतन 18 लोगों का उन्होंने सेवा विस्तार किये जाने की बात मान ली. इन टेक्निकल लोगों में वित्त विभाग में OSD के पद पर तैनात लहरी यादव, विशेष कार्याधिकारी (न्याय) सुरेंद्र कुमार श्रीवास्तव, सचिव गृह के वहां पर तैनात मणि प्रसाद मिश्रा और गोपन विभाग में तैनात विशेष कार्याधिकारी कृष्ण गोपाल प्रमुख हैं. बताया जाता है कि कार्मिक विभाग में तैनात अधिकारी और कर्मचारियों कि सांठगाठ के चलते इन 18 टेक्निकल कर्मचारियों को छोड़कर अन्य कर्मचारियों को अभी तक उनके कार्य से अवमुक्त नहीं किया गया है. यही नहीं ये लोग बिना सेवा विस्तार के सचिवालय और एनेक्सी में अपने-अपने कामों पर डेट हुए हैं. यहाँ तक कि एक व्यवस्था अधिकारी को सीएम इस बात को लेकर जबरदस्त फटकार भी लगा चुके हैं. बावजूद निडर अधिकारी और कर्मचारियों ने अभी तक सेवा विस्तार पर पूर्व में रखे गए इन अधिकारियों और कर्मचारियों की समय सेवा अवधि समाप्त हो जाने के बावजूद उन्हें कार्यमुक्त नहीं किया है.