कैसा महसूस होता है..? जब... आप किसी के लिए कम महत्वपूर्ण हो जाते हैं.. वो भी उसके लिए जो आपके लिए सर्वाधिक महत्व रखता है..
मन तो होता है.. कि उसे सीधे शब्दों में जाकर बोल दिया जाए कि.. "अब तुम मेरा ख्याल नहीं रखते..".. या "अब कभी ऐसा मत करना..".. फिर लगता है कि..ये तो उसकी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना हुआ.. वो स्वतंत्र है किसी का भी ख्याल रखने को.. या ना रखने को...
फिर पिछले वाकये भी याद आते है...कि .. ऐसा तो अक्सर हो जाया करता है.. पर फिर से... सब कुछ ठीक हो जाता है.... वैसे भी रिश्ते तो प्रेम और श्रद्धा पर कायम होते है... और जो ऐसे ही प्रश्न खड़े करता रहे उस रिश्ते में श्रद्धा कहाँ..?
वक़्त को मौका देना भी कई बार काम करता है... खासकर तब.. जब आपको मालूम हो...कि उसे भी आपसे प्रेम है...
फिर जरा.. इस सब से ऊपर उठकर देखता हूँ.. तो फिर से हँसी आती है.. :) कि ये सब मेरे ही इस पागल दिमाग में चलता रहता है...
बाकी तो सब ठीक है..बल्कि...बहुत अच्छा है..
ये अनुमान मैंने आखिर कैसे लगा लिए..? कि मैं.. अब कम महत्वपूर्ण हो गया हूँ..
अब महसूस हो रहा है..ऐसा कुछ नहीं है...शायद मैं ही कुछ कम ख्याल रखता हूँ उसका..और उम्मीदे थोड़ी ज्यादा..यह जानने के बावजूद कि.. यह रिश्ता.. उम्मीदों से ज्यादा श्रद्धा पर कायम है...
अब सोच रहा हूँ...कि वक़्त को ही मौका दूं.. और खुद थोडा अधिक ख्याल रखना शुरू करूँ उसका...जो अधिक महत्वपूर्ण है मेरे लिए...!!