जीवन में घटित हुआ कुछ भी, जो मन पर अंकित हो जाए लेखन में तब्दील हो ही जाता है |
चिंतन लेखन को दिशा देता है, और लेखन जीवन को |
सच कहूँ तो लेखन से अनुशासन, संकल्प, चिंतन जैसी कई सकारात्मक प्रवृतियों ने मुझमे जन्म लिया |
मेरे लिए लेखन सदैव ही आत्म-सुधार का कार्य करता है |
शायद व्यक्तित्व के अनुसार ही लेखन की विधा का निर्धारण होता है | सीमित शब्दों में संक्षिप्त अभिव्यक्ति मेरे लिए सहज है, जो अधिकाँशतः काव्य के स्वरुप में ही होती है |
लेखन में अनुभूति और संवेदना का समावेश उसे जीवन्तता देता है जो स्वयं के लिए ही प्रेरणा सिद्ध होता है |
लेखन मेरे लिए व्यक्तिगत निष्ठा की बात है, तथा लेखन में निष्ठा से जो प्रसन्नता महसूस होती है, उसकी तुलना भी संभव नहीं है |