सड़क के किनारे बैठा,
वो आते जाते लोगों को देख रहा था
लगता था, लोग अपने में मस्त थे !
वो सोच रहा था क्या करूँ?
ये लोग भी रफूगर ढूँढ रहे हैं- 'मेरी तरह !'
ज़िंदगी चिंथडे सी झलक रही थी सब की !!
वह मुस्कुराने लगता है
थैली से रोटी निकालकर देख-सूंघता है
खाता है, आधी कुत्ते को पहले देकर !!
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पंकज त्रिवेदी