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ऐ खुदा ! मुझे ज़िंदगी से कोई शिकायत नहीं । तुमने मुझे वो सब दिया जो मेरे काम का था । मैं जिसके लायक था वो दिया । फिर क्यूं सवाल ?
ऐ खुदा ! मेरी पहचान, मेरी हैसियत से भी ज्यादा हैं । दो वक्त की रोटी, कपडे, मकान और परिवार, प्यार और सुकून । चैन की निंद और नसीब ।
ऐ खुदा ! तुमने मुझे वो दोस्त दिए जो स्नेह रखते हैं मुझसे । जिनसे भी मतान्तर हुआ वो भी मेरे दोस्त ही हैं, क्यूंकि दोनों तरह के दोस्तों से बहुत कुछ सीखने मिला ।
ऐ खुदा ! क्यूं शिकायत करे कोई तुम्हारे लिए, तुम्हारे खिलाफ । तू है ज़रूरतमंदों में, तू है मेरे चाहनेवालों में । तू है या नहीं ये सोचने में क्यूं वक्त बर्बाद करें हम !
ऐ खुदा ! तुमने मुझे इतना सुख और सभी का प्यार दिया । जानता हूँ मैं भी...कुछ भी नहीं रहेगी मेरी स्मृति, मेरे अच्छे कर्मों की सुगंध... तो तुमने भेजा है इसी के लिए ! ।
ऐ खुदा ! तुम्हें पाने के लिए लोग तरसते हैं । मैं सोचूँ, मेरे आसपास के लोगों में तू है । मेरे दिलों-दिमाग में तू । कहीं नहीं होकर भी तू यहीं हो, मेरे आसपास, मेरे अंदर-बाहर !
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