ज़िंदगी ने रफ़्तार पकड़ ली है किसी सुपर फ़ास्ट ट्रेन की तरह | हर दिन नई बात, नए काम और नई मंजिल के सपने को पूर्ण करने के लिए घर से निकलना और शाम होते हुए, घर लौटकर चाय पीते हुए दिनभर के अनुभवों को परिजनों के साथ साझा करना...
फिर सभी अपने अपने कार्यों में लिप्त और मैं दिनभर की डाक पढ़कर आँगन में टहलता हुआ देख लेता हूँ मेरे प्रिय हरसिंगार को | उनकी मुस्कराहट ऊर्जा देती है मुझे और मैं अपने संपादन कार्य को समर्पित होता हुआ कई साहित्यकारों की रचनाएं पढ़ता हुआ दूर दूर निकल जाता हूँ... गज़ब का सफ़र होता है यह !
-पंकज त्रिवेदी