क्या बताएं हमें क्या- क्या दिखाया है ज़िन्दगी ने।
कसम से बहुत ही जादा तड़पाया है ज़िन्दगी ने।
जिन गलत रास्तों से दूर रहना चाहते थे हम।
उन्हीं रास्तों में बार बार चलाया है ज़िन्दगी ने।।
जो ना करने को जमाने को कहा करते थे हम।
वही हर बार हमसे ही कराया है ज़िन्दगी ने।
हमें दुनिया को हँसाना अच्छा लगता है लेकिन।
हमारी ही हंसी को हर बार चुराया है ज़िन्दगी ने।
दूसरों के आंसू हमेशा पोछने चाहे थे हमने लेकिन।
हमको को ही बार-बार फिर रुलाया है ज़िन्दगी ने।
राहों में सबके लिए हमने फूल बिछाने चाहे।
लेकिन कांटो पर हर बार गिराया है ज़िन्दगी ने।
सबके लिए अक्सर हम रौशनी करते रहे हैं।
लेकिन हमको ही अंधेरा दिखाया है ज़िन्दगी ने।।
बार- बार चोटें खाई हमने और हम सह गए।
लेकिन उसके बाद भी दिल दुखाया है ज़िन्दगी ने।
हम बार- बार खुशियों की चाहत करते रहे।
और हर बार ग़मों से मिलाया है ज़िन्दगी ने।
लेकिन फिर कोई शिकवा, कोई शिकायत नहीं।
क्योंकि हर बार एक नया रास्ता, दिखाया है ज़िन्दगी ने।
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संदीप कुमार