आईएएस बनने की या यूं कह लें की उस ओर जाने वाले रास्तों की शुरुआत कैसे हुई ये तो सिर्फ भगवान ही जानता है। क्योंकि लोग कहते है न "किस्मत से ज्यादा और भाग्य से कम ना किसी को मिला है और ना ही किसी को मिलेगा" । शायद इसकी शुरुआत मेरे स्कूल में 5वी क्लास में हुई थी। उस दिन को मैं आज तक नही भूल पाया हूं। उस दिन की शुरुआत से ठीक एक दिन पहले हमारे स्कूल प्रिंसिपल सर ने बोला था की कल हमारे स्कूल में मानव श्रृंखला बनाई जायेगी जो की शराब बंदी, भ्रष्टाचार,और गरीबी के खिलाफ एक जंग होगी। और कल सभी लोग अपने अपने स्कूल ड्रेस को अच्छे से साफ करवा कर पूरे साफ सुथरे होकर ही स्कूल आयेंगे, क्योंकि कल हमारे जिले के डीएम भी मानव श्रृंखला में शामिल होने के लिए आयेंगे। मुझे उस समय डीएम के बारे में कुछ भी नही पता था की ये कौन होता है ,इसका उस जिले में क्या काम होता है,ये क्या क्या काम कर सकता है,इसके पास क्या क्या करने के अधिकार होते है इत्यादि ।बस मुझे उस समय यही समझ में आया की शायद ये कोई मुख्य अतिथि होंगे जो उस फंक्शन में शामिल होने के लिए आ रहे होंगे। अगले दिन जब मैं वहां पहुंचा तो सारे बच्चें साफ सुथरे कपड़े पहने वहां पहले से मौजूद थे, क्योंकि मुझे सुबह कितने बजे स्कूल जाना है ये बात ध्यान से नही सुना था।फिर क्या था,एक टीचर ने गुस्से से मुझसे पूछा की मैं इतना लेट कैसे हो गया।तो मैंने उनसे कहा की मुझे यहां स्कूल में कितने बजे आना है ये बात किसी ने बताई ही नही थी सर।सर ने फिर गुस्से में कहा की कल जब प्रिंसिपल सर इसके बारे में बता रहे थे तो तुमने ध्यान से नही सुना था क्या। मैंने कहा सर शायद जब सर इस बारे में बता रहे होंगे तब मैने समय के बारे में ध्यान नहीं दिया बस ये समझ सका की कल सुबह ही आना है वो भी साफ सुथरे कपड़े पहनकर ।फिर सर ने कहा ठीक है अब जाओ और अपने दोस्तो के साथ वहाँ पर जाकर हाथों में हाथ डाल कर एक लंबी कतार बना कर खड़े हो जाओ ,कुछ ही समय में डीएम सर आ रहे है मानव श्रृंखला का निरीक्षण करने के लिए। मैं अपने दोस्तो के साथ वहाँ जाकर हाथों में हाथ लेकर खड़ा हो गया। मुझे और वहाँ खड़े सारे बच्चें गर्मी में सड़क के किनारे हाथों में हाथ डालकर कड़ी धूप में खड़े रहे। वहाँ खड़े खड़े कुछ बच्चें तेज धूप के कारण बेहोश तक होने लगे थे।की करीब 10 मिनट के बाद एक गाड़ियों का काफ़िला गुजरने लगा।एक के बाद एक गाडियां,आगे आगे पुलिस की गाडियां और उनके पीछे पीछे बड़ी गाड़ियां जिसके आगे एक लाल रंग का बोर्ड लगा था जिसपर लिखा था district magistrate (मतलब डी एम) पटना। और उसके पीछे पीछे भी कुछ एसडीएम के बोर्ड लगी कुछ गाडियां थी।और अंतिम में फिर से पुलिस की कुछ गाडियां।ये गाडियों का काफ़िला कुछ देर में ही वहाँ से गुज़र गया और देखते देखते हमारी आंखों से ओझल हो गया।की तभी मैंने गौर किया की मेरे कुछ दोस्त लोग फूस फूसा कर कुछ बातें कर रहे थे।मैने ध्यान से सुनने की कोशिश की तो सुना की "ये डीएम है इस जिले का राजा।फिर एक दोस्त ने पूछा की राजा? क्या मतलब तुम्हारा मैं कुछ समझा नहीं। फिर पहले दोस्त ने कहा की मतलब जिस तरह एक राजा अपने देश में राज करता है, वहाँ पे हर कानून का पालन उसके आदेश पे होता है,उसकी मर्जी के बिना वहां कोई भी कुछ नहीं कर सकता है।ठीक उसी तरह डीएम जिस जिले में तैनात रहता है उस जिले का वो राजा होता है।उसकी मर्जी के बिना कोई भी कही आ जा नही सकता, यहां पे वो ही सर्वोत्तम होता है, यहां पे इसके आदेश पे ही सारे कानूनी काम किए जाते है। यहां तक कि जब गर्मियों की या जाड़े की छुट्टियां होती है न वो भी इसी के आदेश पे होती है। ये चाहे तो किसी को भी नौकरी पे लगा सकता है या किसी को नौकरी से हटा सकता है।और तो और अगर जिले में मुख्यमंत्री के बाद किसी की चलती है तो वो वो यही होता है। फिर दूसरे दोस्त ने पूछा की यार क्या ये नौकरी सरकारी है या प्राइवेट, और इसके लिए कौनसा एग्जाम देना होगा। फिर पहले दोस्त ने बोला की इसकी नौकरी तो सरकारी है जो की भारत सरकार के द्वारा दी जाती है,और इसमें भर्ती के लिए भारत सरकार हर साल एक एग्जाम लेती है जिसका नाम यूपीएससी सिविल सर्विसेस एग्जाम है।और हर साल तकरीबन 15लाख छात्र छात्राएं एग्जाम देते है मगर केवल 1 हजार ही final selection तक पहुंच पाते है। अच्छा ऐसा है क्या दूसरे दोस्त ने बोला, फिर तो बहुत कठिन परीक्षा है यार... मतलब सक्सेस होने के केवल 0.1 percentage ही chance है। हां वो तो है , मगर ऐसा थोड़ी है की एक आदमी केवल एक बार ही एग्जाम दे सकता है,पहले दोस्त ने कहा। तो फिर... दूसरे दोस्त ने बोला । इस परीक्षा में एक इंसान कम से कम 6 बार और ज्यादा से ज्यादा अपनी उम्र सीमा समाप्त होने तक एग्जाम दे सकता है,पहले दोस्त ने बोला। मगर यार एक बात बता इसके लिए तो काफी ज्यादा पढ़ना परता होगा ना, और इसके लिए कौन कौन सी किताबे पढ़नी परती होगी, दूसरे दोस्त ने पूछा। इसके लिए तो कक्षा 6 से लेकर 12वी की सारी किताबें और कुछ ख़ास publications की किताबें पढ़नी परती हैं, पहले दोस्त ने कहा। और.... इसके बाद दुसरा दोस्त कुछ पूछ पता पहले दोस्त ने बीच में ही टोकते हुए बोला ,कितना बोलता है यार , मैं तुझे बताते बताते थक गया और तू है की चुप ही नही होता।बस अब चुप हो जा और चुप चाप खड़े रहो लाइन में। की तभी पहले वाले दोस्त ने मुझे उसकी और दूसरे दोस्त की बातें सुनते हुए पकड़ लिया।और तपाक से बोला देख देख दीपक कैसे हम लोगो की बातें चुप चाप सुन रहा है।और दोनों हंसने लगे। मैंने सोचा कि अब तो मैं पकड़ा गया अब कुछ झूठ बोलकर बचने की कोशिश करता हूं।और मैंने बोला की नही यार मैं तो शांति से यहां पर सब बच्चों की तरह ही खड़ा था ,तभी तुम दोनों की चाई चाई की आवाज़ आने लगी,मैंने भी सोचा की सभी बच्चें तो शांत खड़े है।और ये आवाज कहा से आ रही है।तो मैंने सोचा की चलो इस शांति भरे वातावरण में अपना कुछ एंटरटेनमेंट हो जाए बस इसी लिए तुम दोनो की बातें सुनने लगा था बस और कुछ भी नही है। की तभी पहले दोस्त ने शक भरी नजरों से मुझे देखा और फिर हंसने लगा।की तभी सर ने बोला चलो बच्चों अब हम सब अपने स्कूल में वापस चलते हैं।सभी बच्चें एक कतार में सीधे स्कूल की तरफ धीरे धीरे आगे बढ़ेंगे। फिर हम सब लोग अपने अपने स्कूल में अपनी क्लास में वापस आ गए।फिर सर ने भी बाकी दिनों की तरह ही पढ़ाना शुरू कर दिया। लेकिन अब मेरे दिमाग में क्लास में हो रही सर की बाते उपर से जा रही थी और बस एक बात चल रही थी की क्या upsc इसके अलावा भी किसी पोस्ट पे भर्ती परीक्षा लेता है,अगर हां तो कौन कौन सी और अगर नही तो क्यों नहीं। रोज की तरह स्कूल खत्म होने पर छुट्टी की बेल बाजी और सारे बच्चें अपने अपने घर की तरफ निकल पड़े।पर मेरे दिमाग में अभी भी वही सब बातें घूम रही थीं जो मेरे दोस्त ने बोली थी। मुझे इसके बारे में और अधिक जानना था किंतु मैं पूछता किससे... अगर दोस्त से पूछता तो उसे शक हो जाता की ये क्यों जानना चाहता है इस बारे में कही ये भी तो इस चीज की तयारी तो नही करना चाहता है, कहीं ये भी डीएम तो नही बनाना चाहता है।इसी डर से मैने उससे नही पूछा लेकिन उस रात मुझे सारी रात नींद नहीं आई।सारी रात मैं बस इसी के बारे में सोचता रहा। एक दिन स्कूल में मैंने सोचा की उन दोनो की बातें सुनीं जाए क्या पता मुझे इस बारे में कुछ और जानकारी मिल जाएगी।इसी लिए मैंने उन दोनो का पीछा करना शुरू कर दिया और वो लोग जहा भी जाते थे मैं उनका पीछा करता था।उनकी बाते ध्यान से सुनता था मगर ज्यादा तर वो लोग पढाई के बारे में, खेल कूद के बारे में,क्रिकेट मैच में किस खिलाड़ी ने कितने रन बनाए,कितने विकेट लिए, कहा कहा घूमने गए अपनी छुट्टियों में.....। कुछ ही दिनों में उसे शक हो गया था की जहा जहा वो दोनो जाते है मैं भी वहा पर उनका पीछा करते करते पहुंच जाता हूं।एक दिन उन्होंने मुझे टोक दिया की मैं हर समय उनका पीछा क्यों करता रहता हु। मुझे लगा की मैं इसका क्या जवाब दूं,तो मैंने भी बाते बनाते हुए बोल दिया की मुझे अकेले मन नही लगता है इसलिए मैं तुम दोनो के साथ रहना चाहता हूं।ताकि बोर न हो जाऊ। उन लोगों ने भी मेरा विश्वास कर लिया। लेकिन मैंने कभी भी उनसे सामने से पूछने की हिम्मत नहीं की। धीरे धीरे दिन बदलते चले गए,मैं भी पढ़ाई में मशगूल हो गया और फिर देखते देखते इन सभी बातों को भूल गया। और फिर समय के साथ मैं मिडिल स्कूल से हाई स्कूल में आ गया और अपनी पढ़ाई में लगा रहा....।
अगर आपको जानना है की मेरी पढ़ाई में रुचि कैसे खत्म हो गई,इसके लिए आप सबको मेरे नोवेल "मैं आईएएस कैसे बना" इसका अगला chapter पढ़ना होगा। Till then good bye take care and namaskar.