कैसा लव था तब ?
कैसा हो गया है अब ?
पूज्य होता था कभी,
हेय हो गया है अब ।
राधा कृष्ण का प्रेम,
अखण्ड प्रेम की पहचान है ।
नल और दमयन्ती का प्रेम,
आज भी एक मिशाल है ।
लैला और मजनू की मोहब्बत,
पाकीज़गी के रंग रंगी है ।
शीरी फ़रहाद के इश्क में ,
सारी क़ायनात रंगी है ।
आखिर क्या था इनके प्यार में,
जो मिट कर भी न मिट सका ।
ऐसा कौन सा रसायन था ?
जो इनके दिलों से हट न सका ।
सुना है एलिज़ाबेथ ने,
अठ्ठारह बार लव किया ।
डोपामाइन रसायन ने वाकई
मैडम पर बड़ा असर किया ।
सुना है डोपामाइन ही,
लव का प्रोड्यूसर होता है ।
बुलबुला बन कर उठता है,
प्यार का अहसास जगाता है ।
शायद मीराबाई के अन्तस में,
यह सक्रिय नहीं हो पाया ।
लगता है इस रसायन ने,
वहाँ कोई उत्प्रेरक नहीं पाया ?
पहले इस रसायन ने इश्क़ जगाया,
फिर उसे कम्बख़्त और कमीना बनाया ।
प्यार को खेल डोपामाइन ने ही बनाया,
इसी ने डेटिंग और रोमांस सिखाया ।
कभी किसी की बाहों में
कभी पलकों की छावों में ।
बड़ा अजीब हो गया है लव,
कैसा था तब और
कैसा हो गया है अब ?