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आधुनिक लव

22 अक्टूबर 2015

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कैसा लव था तब ?

कैसा हो गया है अब ?

पूज्य होता था कभी,

हेय हो गया है अब ।


राधा कृष्ण का प्रेम,

अखण्ड प्रेम की पहचान है ।

नल और दमयन्ती का प्रेम,

आज भी एक मिशाल है ।


लैला और मजनू की मोहब्बत,

पाकीज़गी के रंग रंगी है ।

शीरी फ़रहाद के इश्क में ,

सारी क़ायनात रंगी है ।


आखिर क्या था इनके प्यार में,

जो मिट कर भी न मिट सका ।

ऐसा कौन सा रसायन था ?

जो इनके दिलों से हट न सका ।


सुना है एलिज़ाबेथ ने,

अठ्ठारह बार लव किया ।

डोपामाइन रसायन ने वाकई

मैडम पर बड़ा असर किया ।


सुना है डोपामाइन ही,

लव का प्रोड्यूसर होता है ।

बुलबुला बन कर उठता है,

प्यार का अहसास जगाता है ।


शायद मीराबाई के अन्तस में,

यह सक्रिय नहीं हो पाया ।

लगता है इस रसायन ने,

वहाँ कोई उत्प्रेरक नहीं पाया ?


पहले इस रसायन ने इश्क़ जगाया,

फिर उसे कम्बख़्त और कमीना बनाया ।

प्यार को खेल डोपामाइन ने ही बनाया,

इसी ने डेटिंग और रोमांस सिखाया ।


कभी किसी की बाहों में

कभी पलकों की छावों में ।

बड़ा अजीब हो गया है लव,

कैसा था तब और 

कैसा हो गया है अब ?


राघवेन्द्र कुमार

राघवेन्द्र कुमार

तभी तो रचना करनी पड़ी वर्तिका जी...

22 अक्टूबर 2015

वर्तिका

वर्तिका

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22 अक्टूबर 2015

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रचनाएँ
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