हरे नोटों के सामने,
पतिव्रत धर्म बिकता है ।
नारी की इस्मत बिकती है,
पायल का रागबिकता है ।।
खुल जाते हैं बन्द दरवाजे,
चन्द सिक्कों की खनकार से।
बिक जाते ईमान यहाँ,
कुछ सिक्कों की बौछार से ।
कैसे करें आस-ए-वफ़ा,
ऐतबार यहाँ बिकता है ।
हरे नोटों के सामने,
पतिव्रत धर्म बिकता है ।
थोड़े से पैसे की खातिर,
बहन बेंच ये देते हैं ।
अपने ज़िगर के टुकड़े को,
टुकड़े–टुकड़े कर देते हैं ।
पैसों के ही खातिर तो,
सिन्दूर माँग का बिकता है ।
हरे नोटों के सामने,
पतिव्रत धर्म बिकता है ।
कहीं जिस्म का सौदा है,
कहीं जिस्म जल जाता है ।
हैवानियत की वेदी पर,
प्रेम बलि चढ़ जाता है ।
कागज के रंगीन टुकड़ों पर,
माँ का आँचल बिकता है।
हरे नोटों के सामने,
पतिव्रत धर्म बिकता है ।
नारी की इस्मत बिकती है,
पायल का रागबिकता है ।।