तब एक तौलिए से पूरा घर नहाता था दूध का नंबर बारी-बारी से आता था छोटी मां के पास सो कर मस्ती करता था पिताजी से मार का डर सबको सताता था बुआ के आने से माहौल शांत हो जाता था पूरी खीर से पूरा घर रविवार मनाता था बड़े भाई के कपड़े छोटे होने का इंतजार रहता था स्कूल में बड़े के ताकत से छोटा रौब जमाता था बहन भाई की प्यार का सबसे बड़ा नाता था धन का महत्व कभी सोच भी न पाता था बड़े का बस्ता किताबे साइकिल कपड़े खिलौने पेंसिल स्लेट स्टाइल चप्पल सबसे मेरा नाता था मामा मामी नाना नानी सब पर हक जताता था एक छोटी सी संदूक को अपनी जान से ज्यादा प्यारी तिजोरी बताता था अब तोलिया अलग हुआ दूध अधिक हुआ कपड़े भी व्यक्तिगत हो गए बहन की प्रेम की जगह गर्लफ्रेंड आ गई धन प्रमुख हो गया अब सब नया चाहिए नाना आदि औपचारिक हो गए बटुए में नोट हो गए कई भाषाएं तो सीखें मगर संस्कार भूल गए बहुत पाया पर कुछ खो गए रिश्तो के अर्थ बदल गए हम जीते तो लगते हैं पर एहसास वह संवेदना ही न हो गए कृपया आप सब भी विचार कीजिए कहां थे हम कहां पहुंच गए