समुद्र के पास एक छोटी सी चिड़िया अपने मुंह में पानी भरकर रेत के ऊपर डाल रही थी एक दूसरी चिड़िया आई उसने कहा यह क्या कर रही है चिड़िया ने कहा मैं समुद्र को सुखा दूंगी इसने मेरे बच्चों को मुझ से छीना है दूसरी चिड़िया हंसने लगी बोली तेरे सुखाने से यह समुद्र नहीं सूखने वाला तेरा मेहनत व्यर्थ जाएगा उस छोटी सी चिड़िया ने कहा देना है तो साथ दे ज्ञान नहीं चाहिए दूसरी चिड़िया भी अपने मुंह में पानी डालकर रेत के ऊपर डालने लगी ऐसे ही एक एक चिड़िया आते गए सब यही कहते गए देना है तो साथ दीजिए सलाह नहीं चाहिए इस तरह चिड़ियों का एक समूह तैयार हो गया यह देख कर विष्णु भगवान के वाहक गरुड़ जी सहायता के लिए जाने लगे विष्णु भगवान बोले नहीं गरुड़ जी तुम नहीं जा सकते तुम्हारे जाने से मेरा काम रुक जाएगा गरुड़ जी ने कहा प्रभु देना है तो साथ दीजिए सलाह नहीं चाहिए अब क्या था स्वयं विष्णु भगवान गरुड़ के साथ समुंद्र तट पर उपस्थित हो गए चिड़ियों की मदद करने के लिए समुद्र देव ने जब विष्णु भगवान को अपने समक्ष देखा तो डर के मारे चिड़िया के बच्चे लौटा दिया दोस्तों कहानी का शिक्षा यह है कि एकता में बहुत ताकत होती है जब काम हम अकेले करते हैं तो टाइम लगता है उसी को एक साथ मिलकर कर दिया जाए तो समय बचता है