एक बार एक फकीर नदी के किनारे बैठा सोच रहा था तभी एक आदमी आया पूछा बाबा यहां क्यों बैठे हो फकीर ने जवाब दिया सोच रहा हूं नदी का पानी पूरा वह कर समाप्त हो जाए तब नदी पार करो आदमी हंसने लगा बोला बाबा आप यह क्या कह रहे हो भला नदी कैसे सूखे गी आपको आगे जाना है तो बहते नदी से ही निकलना पड़ेगा फकीर हंसने लगा बोला यही तो मैं भी समझाना चाहता हूं परिस्थितियां कभी भी सामान्य नहीं होती इन्हीं के बीच में से ही रास्ता बनाना पड़ता है आप चाहोगे कि पूरी जिम्मेदारियां निभा लूं तब घूमो फिरो मौज करो तो यह जिंदगी है जिंदगी खत्म हो जाएगी मगर जिम्मेदारियां कभी खत्म नहीं होंगी तो इन्हीं जिम्मेदारियों के बीच में से ही खुश रहने का रास्ता निकालना ही सच्चा जीवन है