एक बार शिव जी से मिलने विष्णु भगवान कैलाश पर्वत गए हुए थे विष्णु भगवान के वाहन गरुड़ जी द्वार पर खड़े होकर विष्णु भगवान के लौटने का इंतजार कर रहे थे तभी यमराज जी आप पहुंचे वहीं पास में ही एक नन्ही चिड़िया बैठी हुई थी यमराज उसे घूर कर देखने लगे विष्णु भगवान के वाहन गरुड़ जी यमराज को यू घूरते देखकर समझ गए कि आज यह चिड़िया मरने वाली है जैसे ही यमराज जी कैलाश पर्वत पर शिव भगवान से मिलने चले गए गरुड़ जी ने क्या किया उस चिड़िया को अपने पं आपने दूर पर्वत पर छोड़ दिया था आपनेजे में दबाकर दूर एक पहाड़ी पर छोड़ कर आ गए जब यमराज जी बाहर निकले तो गरुड़ जी मुस्कुरा रहे यमराज जी बोले गरुड़ जी अभी आपने जिस चिड़िया को दूर पर्वत पर छोड़ कर आ रहे हो उसे एक नाग ने अपना निवाला बना लिया मतलब खा गया गरुड़ जी अपना सर पकड़ लिए जिस चिड़िया को बचाने के लिए उन्होंने उसे दूर पर्वत पर छोड़ दिया था कि अब वहां पर उसकी जिंदगी बच जाएगी लेकिन जो होना होता है वह होकर रहता है चाहे आप कहीं पर भी हो वक्त अपना काम करते रहता है इसलिए सदैव प्रसन्न रहिए हंसते मुस्कुराते रहिए क्योंकि किस्मत में जो लिखा है वह होकर रहता है तो फिकर किस बात की करने का