कभी-कभी लगता है औरत होना एक सजा है ना पड़े तो अनपढ़ जाहिल पढ़ ले तो पढ़ाई का घमंड है शादी ना करें तो बदचलन नकचड़ी है और कर ले तो अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे सब से मिलकर रहे तो चालाक मिलकर ना रहे तो घमंडी पढ़ लिख कर घर में रहो तो क्यों इतने साल पैसे बर्बाद किए कोई नौकरी करो तो पर निकल आए हैं नौकरी का घमंड है किसी से बात करो तो चलता पुर्जा और ना करो तो छोटी सोच वाली बड़ा लंबा चिट्ठा है साहब क्या कहें अच्छा है कि चुप रहे