एक बार कुबेर जी को अपने आप पर बहुत बड़ा अभिमान हो गया कि मेरे जितना अमीर इस तीनो लोक में कोई भी नहीं है उन्हें अपनी धनसंपदा पर बहुत घमंड था कुबेर जी अपनी खुशी बढ़ाने के लिए एक भोज आयोजन रखा और सभी देवता गण को आमंत्रित किया शंकर भगवान और पार्वती जी को निमंत्रण देने कुबेर जी स्वयं कैलाश पर्वत पर गए और कैलाश पर्वत पहुंचकर माता पार्वती और भगवान शिव को प्रणाम किया और कुबेर जी बोले भगवान आपकी कृपा से मैं तीनो लोक में बहुत अमीर हूं मेरे जितना धनसपदा किसी के पास भी नहीं है मैं इस खुशी में एक भोज समारोह रखा हूं कृपया आप को और माताजी को आना होगा शंकर भगवान बोले कुबेर जी तुम्हें तो पता है मैं कहीं आता जाता नहीं मेरे छोटे बेटे गणेश को भोजन समारोह में भेज दूंगा कुबेर जी शंकर भगवान से आज्ञा लेकर पुनः अपने महल में लौट आए जिस दिन भोजन समारोह था उस दिन सभी देवता गण समय से कुबेर जी के घर पहुंच गए लेकिन गणेश भगवान सबसे पीछे पहुंचे और पहुंचते ही कहा कहां पर है भोजन मुझे बहुत भूख लगी है कुबेर भगवान गणेश जी को भोजन गृह में ले गए बहुत सुंदर थाल में उन्हें भोजन परोसा गया 2 मिनट के अंदर ही गणेश भगवान भोजन खत्म कर दिए और फिर बोले और भोजन लाओ कुबेर जी उनकी थाली में भोजन डालते जा रहे थे और पलक झपकते ही गणेश भगवान थाल को खाली कर देते गणेश भगवान इतना खा चुके थे कि रसोई घर में कुछ भी नहीं बचा फिर भी गणेश भगवान की भूख शांत होने का नाम नहीं ले रही थी बोले कुबेर कहां है भोजन और भजन लाओ कुबेर जी ने हाथ जोड़कर कहा प्रभु जितना भोजन था आपने सब खा लिया अब रसोई घर में कुछ भी नहीं बचा है कृपा करके थोड़ा इंतजार कीजिए मैं फिर से खाना बनवा दे रहा हूं लेकिन गणेश भगवान नहीं सुने और रसोई के अंदर पहुंच गए वहां जितनी साग सब्जी रखी थी सब कच्चा ही खाने लगे यह देखकर सभी देवगढ़ ओं में खलबली मच गई साग सब्जी खत्म होने के बाद गणेश जी बोले कुबेर जल्दी भोजन का इंतजाम करो नहीं तो मैं तुम्हें खा जाऊंगा गणेश भगवान को इतना कहते देखकर कुबेर जी वहां से भाग निकले और सीधे कैलाश पर्वत पहुंच गए और शंकर भगवान की चरणों में गिर पड़े बोले प्रभु मुझे गणेश भगवान से बचा लीजिए अन्यथा वह मुझे खा जाएंगे शिव भगवान मुस्कुराए बोले गणेश को खाना नहीं दिया था क्या कुबेर जी हाथ जोड़कर बोले घर में जितना खाना था गणेश ने सब कुछ खा लिया अब वह मुझे खाना चाहते हैं शंकर भगवान मुस्कुरा कर बोले कुबेर जी आप तो मुझे न्योता देने के लिए आए थे कहां एक छोटे से बच्चे की भूख आप शांत नहीं कर पा रहे हो यह सुन कुबेर जी को अपनी गलती का एहसास हुआ उन्होंने शंकर भगवान से माफी मांगी तब जाकर कहीं गणेश भगवान शांत हुए