औरत को आईने में कुछ इस कदर उलझा दिया गया बखान करके हुस्न का बहला दिया गया गृहस्वामी के नाम का रुतबा दे दिया गया है छूती रही जब पाव पति को परमेश्वर कह कर फिर कैसे इनको घर की गृह लक्ष्मी बना दिया गया चलती रहे चक्की और जलता रहे चूल्हा बस इसीलिए औरत को अन्नपूर्णा बना दिया गया ना ही बराबर का हक मिले नाचू ही कर सके इसीलिए इनको पूज्य देवी दुर्गा बना दिया गया सभी पुरुष समाज से निवेदन है कि सिर्फ स्त्रियों को ही लक्ष्मी और दुर्गा मत बनाइए खुद भी हैसियत रखिए राम और नारायण बनने की क्योंकि इज्जत देने से ही इज्जत मिलती है