नई दिल्ली: जीवन के आखिरी समय तक युवाओं को शिक्षा के माध्यम से जोड़कर देश में बदलाव का सपना देखने वाले स्व. डॉ. ए. पी. जे अब्दुलकलाम को पूरा देश स्मरण कर रहा है। राष्ट्रपति भवन में भी बच्चों के साथ जुड़े रहकर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम ने विजन-2020 का स्वप्न देखा। इंडिया संवाद भी मीडिया में बदलाव के माध्यम से समाज को रूपांतरित करने का सामुदायिक प्रयास है। इन्हीं तारों को जोड़ते हुए इंडिया संवाद ने वज्र फाउंडेशनके सहयोग से देश के युवाओं में सकारात्मक बदलाव लाने की पहल की है।
देश में जजों की नियुक्ति पर गतिरोध है जिस पर संसदीय समिति के हस्तक्षेप ने एक नई बहस की शुरुआत कर दी है। 3.3 करोड़ से अधिक लंबित मुकदमों की वजह से देश की आधी आबादी परेशान है। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति हेतु अपनाई जा रही कॉलेजियम प्रणाली को सरकार तथा सुप्रीम कोर्ट दोनों ने दोषपूर्ण बताया है, फिर भी बदलाव के बगैर नियुक्तियां हो रही हैं-
‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता’ संविधान की आत्मा है और ‘शीघ्र न्याय’ आम जनता का मूल अधिकार है। जजों की नियुक्ति प्रणाली में सुधार से देश के न्यायिक प्रणाली में बदलाव तथा लोकतंत्र को मजबूत करने की अच्छी शुरुआत हो सकती है। संविधान के दायरे में जजों की नियुक्ति प्रणाली में बदलाव लाने के लिए लॉ कॉलेजों, आईआईटी, आईआईएम एवं अन्य संस्थानों के युवाओं से लेख तथा सुझाव आमंत्रित किए गए हैं।
लेखों को ई-मेल द्वारा essays@vajrafoundation.org में 14 नवंबर2016 तक भेजा जा सकता है। विजेताओं का फैसला ज्यूरी करेगी जिसमें पूर्व न्यायाधीश, शिक्षाविद्, प्रतिष्ठित समाजसेवी शामिल हैं।
सुझावों को क्रियान्वयन हेतु सरकार, संसद एवं सुप्रीम कोर्ट को भेज कर विजेताओं को अंबेडकर जयंती 6 दिसंबर 2016 को नई दिल्ली में सम्मानित किया जाएगा। आप भी इंडिया संवाद की इस मुहिम में भाग लेकर डॉ.कलाम की जयंती पर उन्हें अपनी सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं।