नई दिल्ली : ब्रिटेन की नोट छापने वाली कंपनी डे ला रू ने कहा है कि भारत में उनको लेकर कुछ लोगों द्वारा जो हवा फैलाई का रही है वह पूरी तरह से निराधार है। डे ला रू ने आज स्पष्ट किया कि वह भारत में नोटों की छपाई से किसी तरीके से नहीं जुड़ी है और साथ ही वह पाकिस्तान को करेंसी नोट छापने के लिए कागज की आपूर्ति नहीं कर रही है।
लंदन में सूचीबद्ध कंपनी ने इन ख़बरों का खंडन किया कि उसे नए 500 और 2,000 के नोट छापने का ठेका मिला है। कंपनी ने बयान में कहा कि डे ला र्यू भारतीय करेंसी छापने के लिए कागज की आपूर्ति नहीं कर रही है। कंपनी फिलहाल भारत में करेंसी की छपाई से किसी भी रूप में नहीं जुड़ी है। गौर तालाब है कि आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया गया था कि कंपनी का नाम पनामा पेपर लीक में आया है और उसे नई करेंसी छापने का ठेका दिया गया है।
इससे पहले एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अमेरिकी नोट कंपनी (यूसए), थॉमस डे ला रू (ब्रिटेन) और giesecke and devrient consortium (जर्मनी) ये वो तीन कम्पनियां है, जिसे भारतीय मुद्रा की छपाई करने के लिए ठेका दिया गया था। इस घोटाले के बाद रिज़र्व बैंक ने अपने वरिष्ठ अधिकारी को तथ्य तलाशने के लिए डे ला रू के प्रिटिंग प्लांट हैम्पशायर (ब्रिटेन) भेजा| रिज़र्व बैंक अपनी सुरक्षा कागज की आवश्कताओं का 95% का आयात उसी कंपनी से करता था जो कि कम्पनी के लाभ का एक तिहाई था, फिर भी भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा डे ला रू को नये अनुबन्ध से दूर रखा गया।
डे ला रू के इस झूठ के कारण सरकार द्वारा इसे काली सूची में डाल दिया जिसके कारण 2000 मीट्रिक टन कागज, प्रिटिंग प्रेस और गोदामों सब ऐसे ही पड़े रह गए। इस असफलता के बाद डे ला रू के सीईओ जेम्स हंसी, जो इंग्लैंड की रानी का धर्म-पुत्र है ने बहुत ही रहस्यमय तरीके से कम्पनी छोङ दी| अपने सबसे मूल्यवान ग्राहक “भारतीय रिजर्व बैंक” को खोने के बाद डे ला रू के शेयर लगभग दिवालिया हो गए। इसके फ्रेंच प्रतिद्वन्दी ओबेरथर ने इसका अधिग्रहण करने के लिए नीलामी की कोशिश की जिससे कंपनी किसी तरह बची।