राग रागनी सुन तंद्रा उनकी भागे, टूट जायें स्वप्न के जाल निराले।</
करोना ने महीनों सताया अब आर्थिक प्रहार !कभी तो ऐसा लगता है कि देश में करोना हम आम लोग ही लेकर आये हैं सरकारेसारे टेक्स और महंगाई हम पर ही लादे जा रही है: पहले पेट्रोल डीजलके भावों में बढौत्तरी की अब धीरे धीरे सिलेण्डर,रलवे किराया, बैंक में जमा निकासी पर शुल्क और अन्यउपभोक्ता वस्तुओं की कीमतो
शी जिंगपिंग ( चीन के राष्ट्रपति ) विश्व एक बाजार नहीं है डॉ शोभा भारद्वाज जरूरत है आने वाली जेनरेशन में चीनी सामान के विरोध की भावना जगनी चाहिए |.“चीन ने भारत का इतिहास नहीं पढ़ा हमने विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी अपने चरखे और हथकरघे का मोटा कपड़ा गर्व से पहन
वास्तव में हमारे देश में यदि किसी भी ‘‘सरकार’’ से कोई निर्णय अपने पक्ष में करवाना हो तो सरकार के चुने जाने के 4 साल तक तो वह आपकी मांगे व मुद्दो पर गंभीरता से कोई विचार ही नहीं करती है, क्योकि तब तक वह आपके चुनावी दबाव में ही नहीं होती है। परन्तु चुनावी वर्ष में चुनावी मोड में आ जाने के बाद आपका मु
बढ़ ही रहा है ---------------------------- यह खूंखार मंजर ----------------------------------- साल गुज़रते रहे ======तरसते रहें हम "अच्छे दिनों " को और " सबका विकास " से !!!!!!!???????? RSS को हिन्दुओं की नहीं बल्कि हिंदुत्व की चिंता सता रही है. यह आडम्बर किस लिए ????!!!!!!