कब तक चुप रहे हम कब तक सहे हम गुलामी की जंजीरो मे जागो और जगाओ ,अलख जगाओ अब रूके न रूके कर लो ऐसी तैयारी क्योकि अब गुंज उठी रंभेरी की सहनाई ! बिलखे मोरो माई बहीनिया बिलखे मोरो माई बिलखे अब तो घर बहुरनीया कैसन वर हम पाई पापा कहलन नौकरी करे ला दुलहा तोहर बेटी पांच छ:माह न वेतन मिली भुखे कैसे रह पाई क्योकि अब गुंज उठी रंभेरी की सहनाई ! संविदा कहे या ठिका कहे या बेरोजगारो की रूशवाई दिन पर दिन बढल जाता महगाई की चक्र हो भाई मजदुर से बदतर मेरी जिंदगी आर्थिक संकट है भाई बिना मांगे कुछ न मिलीहे बिना रहे लडे भाई अब न कर बाबुआनी क्योकि गुंज उठी रंभेरी की सहनाई ! एक हो जाओ एक आवाज लगाओ सुन लो पुकार हमारी वेतनमान दो ,स्थाईकरण हो सोच कर आज की महगाई जीलत की जिंदगी जीने से अच्छा लडो आर पार की लडाई क्योकि गुंज उठी रंभेरी की सहनाई ! क्रांतिराज बिहारी 25/03/22