औरत जीवन-भर दूसरों की खुशियों और ख्वाहिशों को पूरा करने में लगी रहती है इस चाहत में की उसकी ख्वाहिशें भी शाय़द पूरी हो जाए पर ऐसा होता नहीं है हक़ीक़त तो यह है औरत की ख्वाहिशें कभी पूरी नहीं होती वह जीवन के अंतिम क्षण तक अधूरी ही रहतीं हैं औरत के इसी जज़्बात को दर्शाने की कोशिश की है।
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