अभी सफऱ मैं है, कुछ कदम चल ले, फिर नया इतिहास लिखेंगे......
टूटी कलम से, बेहते पानी मे, दर्द कुछ अंदाज - ऐ ख़ास लिखेंगे।
अभी सफऱ मैं है.......
एक ज़माने से मुझ से समंदर और समंदर से मे अनजान था.....
इस से पार जाना मुश्किल डूब जाना आसान था....
चलो फिर कभी पानी की हथेली पे नयी प्यास लिखेंगे।
.अभी सफऱ मैं है.......
वो मुस्कुराने के लिए, मेरे लबों की हसीं उधार ले गए.....
जो इस पार था खंजर, ना जाने कब उस पार ले गए...
आज जुबानी सुन लो, फुर्सत से कभी अश्कों से प्यार का एहसास लिखेंगे।
अभी सफऱ मैं है.......
इमारते दिखती है हर जगह, मे शहर मे घऱ ढूंढ़ता हूँ...
बहुत मिठास सी दिखती है हर जगह, मोहब्बत का ज़हर ढूंढ़ता हूँ.....
नफरत की बंजर पड़ी ज़मीन मे, मोहब्बत की नयी कपास लिखेंगे।
अभी सफऱ मैं है.......
सीख लिया है इंसानो ने, हालात देख कर, नजर मिलाने का हुनर........
काजल बना के अश्कों का, मुस्कुराने का हुनर........
वो हाथ पे उठा के पत्थर, कांच ए दीवार पे, नाम ए कैलाश लिखेंगे।
टूटी कलम से, बेहते पानी मे, दर्द कुछ अंदाज - ऐ ख़ास लिखेंगे।
अभी सफऱ मैं है.......
एक ज़माने से मुझ से समंदर और समंदर से मे अनजान था.....
इस से पार जाना मुश्किल डूब जाना आसान था....
चलो फिर कभी पानी की हथेली पे नयी प्यास लिखेंगे।
.अभी सफऱ मैं है.......
वो मुस्कुराने के लिए, मेरे लबों की हसीं उधार ले गए.....
जो इस पार था खंजर, ना जाने कब उस पार ले गए...
आज जुबानी सुन लो, फुर्सत से कभी अश्कों से प्यार का एहसास लिखेंगे।
अभी सफऱ मैं है.......
इमारते दिखती है हर जगह, मे शहर मे घऱ ढूंढ़ता हूँ...
बहुत मिठास सी दिखती है हर जगह, मोहब्बत का ज़हर ढूंढ़ता हूँ.....
नफरत की बंजर पड़ी ज़मीन मे, मोहब्बत की नयी कपास लिखेंगे।
अभी सफऱ मैं है.......
सीख लिया है इंसानो ने, हालात देख कर, नजर मिलाने का हुनर........
काजल बना के अश्कों का, मुस्कुराने का हुनर........
वो हाथ पे उठा के पत्थर, कांच ए दीवार पे, नाम ए कैलाश लिखेंगे।
अभी सफऱ मैं है.......