कुछ बेअदब कुछ बेमिजाज सा इश्क, किस ओर रुख करें कोई खबर नहीं है.....
कभी आओ बैठो फुरसत से मयखाने मे,मय मरने की दवा है साकी, कोई जीने का ज़हर नहीं है।
कुछ बेअदब कुछ बेमिजाज सा इश्क.......
मेरे घऱ का आईना ,मुझे मेरा अक्स अब दिखाता नहीं है..
( चाहत ये है की कुदरत कुछ इस तरह बेरहम निकले..
वो खफा हो हम से और उन के आगोश मे दम निकले...)
या तो झूठा सा है आइना , या मेरे नजरिये मे असर नहीं है।
कुछ बेअदब कुछ बेमिजाज सा इश्क.......
शायर तूने बोल दिया ओर लिख दिया इश्क....
पर इश्क क्या है तूने कभी जाना नहीं है.....
कहने को एक उम्र गुज़ार दी तूने जहाँ...
तू भी जानता है तेरा वो ठिकाना नहीं है......
सोचता है शायर, क्यों परिंदो का आसमान मे कोई घऱ नहीं है।
कुछ बेअदब कुछ बेमिजाज सा इश्क.......
देखा है,अंदर से सिसकते और बाहर से,मुस्कुराते लोग....
जान लेते इश्क मे,ओर कुछ मौत को गले लगाते लोग....
वो जो दिल दे चुका है मौत को उस को ज़िन्दगी का डर नहीं है।
कुछ बेअदब कुछ बेमिजाज सा इश्क.......
मोहब्बत के पल को दिल के किसी कोने मे संजोये हुए से है......
होश मे आएंगे तो करेंगे जरूर बयां, अभी खुद मे hi खोये हुए से है.......
कैलाश शायद यादों की ही है एहमियत यहाँ,
हकीकत की यहाँ किसी को कदर नहीं है।
कभी आओ बैठो फुरसत से मयखाने मे,मय मरने की दवा है साकी, कोई जीने का ज़हर नहीं है।
कुछ बेअदब कुछ बेमिजाज सा इश्क.......
मेरे घऱ का आईना ,मुझे मेरा अक्स अब दिखाता नहीं है..
( चाहत ये है की कुदरत कुछ इस तरह बेरहम निकले..
वो खफा हो हम से और उन के आगोश मे दम निकले...)
या तो झूठा सा है आइना , या मेरे नजरिये मे असर नहीं है।
कुछ बेअदब कुछ बेमिजाज सा इश्क.......
शायर तूने बोल दिया ओर लिख दिया इश्क....
पर इश्क क्या है तूने कभी जाना नहीं है.....
कहने को एक उम्र गुज़ार दी तूने जहाँ...
तू भी जानता है तेरा वो ठिकाना नहीं है......
सोचता है शायर, क्यों परिंदो का आसमान मे कोई घऱ नहीं है।
कुछ बेअदब कुछ बेमिजाज सा इश्क.......
देखा है,अंदर से सिसकते और बाहर से,मुस्कुराते लोग....
जान लेते इश्क मे,ओर कुछ मौत को गले लगाते लोग....
वो जो दिल दे चुका है मौत को उस को ज़िन्दगी का डर नहीं है।
कुछ बेअदब कुछ बेमिजाज सा इश्क.......
मोहब्बत के पल को दिल के किसी कोने मे संजोये हुए से है......
होश मे आएंगे तो करेंगे जरूर बयां, अभी खुद मे hi खोये हुए से है.......
कैलाश शायद यादों की ही है एहमियत यहाँ,
हकीकत की यहाँ किसी को कदर नहीं है।
कुछ बेअदब कुछ बेमिजाज सा इश्क.......