मेरे शहर की, हवा बदल गई।
चारों ओर की, फिजा बदल गई।।
पहले आती थी, बारिश बरसात में।
अब साल भर में, कभी भी फिसल गई।।
नपे तुले होते थे, सर्दी गर्मी के मौसम।
अब गर्मी के कारण, धरती उबल गई।।
बढ़ते प्रदूषण से, इकोसिस्टम बिगड़ गया।
ग्लोबल वार्मिंग से, ग्लेशियर पिघल गई।।
बच्चे युवा होते थे, सोलह सत्तरह वर्ष में।
अब युवावस्था, बचपन निकल गई।।
मानव की मनमानी का, है ये नतीजा।
आज मानव के साथ पूरी, प्रकृति दहल गई।।