जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ने लगी। भोजन की आपूर्ति में कमी आने लगी।
किसान फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए हानिकारक रसायनों (केमिकल) का इस्तेमाल करने लगा। ये फसल की पैदावार को बढ़ा देते हैं। लेकिन इससे उगने बाले अन्न, सब्जी, फल आदि के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
इसके साथ ही जमीन की उर्वरा शक्ति भी कम होती जाती है। जिससे जमीन बंजर हो जाती है।
हानिकारक केमिकल के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए खेतों में फसलों पर केमिकल की जगह जैविक खाद का इस्तेमाल किया जाने लगा जैसे गोबर खाद, वर्मी कंपोस्ट आदि।
जिससे पैदावार भी बढ़ती है और इसका कोई दुष्प्रभाव जमीन, मिट्टी और फसल पर नहीं पड़ता।
और जैविक खाद से की जाने वाली खेती को जैविक खेती कहते हैं।
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार विभिन्न योजनाएं चला रही है, और किसानों को प्रेरित कर रही है। हानिकारक केमिकल की बजाय जैविक खाद का इस्तेमाल करने के लिए।
लोगों को भी कहा जा रहा है जैविक खेती से उगे अन्न, फल, सब्जियां आदि को इस्तेमाल करें।
और बहुत से लोग जागरूक भी हो रहे हैं। इन ऑर्गेनिक सब्जियां, फल आदि को खरीदने के लिए।
उनमें एक जागरूक भारतीय नागरिक हम भी हैं। हमने भी जब ऑर्गेनिक सब्जियों के बारे में सुना तो उनका इस्तेमाल करने लगे।
बहुत अच्छी बात ये थी कि एक व्हाट्सएप ग्रुप था जिसमें हमें एंड कर लिया था।
उस ग्रुप में हर दिन की उपलब्ध सब्जियों की लिस्ट आ जाती थी रेट के साथ।
उनमें से जो भी सब्जियां चाहिए होतीं उनको लिखकर आर्डर कर देते थे तो सब्जियां घर पर आ जातीं थीं।
कुछ दिनों तक ऐसे ही चला। हम बड़े खुश थे कि हमें केमिकल मुक्त सब्जियां खाने को मिल रहीं हैं।
सब्जियां थोड़ी महंगी थीं लेकिन ऑर्गेनिक होने के कारण हम मंगवाते थे।
एक दिन ब्रोकली मंगाई।
जब भी मैं गोभी या ब्रोकली बनाती हूं तो उसको काट के गर्म पानी में थोड़ी देर के लिए डाल देती हूॅं, ताकि उनके अंदर छुपे छोटे-छोटे कीड़े (इल्ली) आदि निकल जाएं।
जब मेने ब्रोकली को गर्म पानी में डाला तो थोड़ी देर में पानी हरा हो गया।
उससे पहले भी कई बार ब्रोकली बनाई। उसको गर्म पानी में डाला लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ कि ब्रोकली कलर छोड़े।
कुछ समझ नहीं आया...?
क्या है...?
इसलिए आजकल कुछ कहा नहीं जा सकता। कई लोगों ने यह बिजनेस बना रखा है ऑर्गेनिक के नाम पर..., हर्बल के नाम पर..., देसी के नाम पर..., बेवकूफ बनाते हैं।
बड़ा सवाल है ये है कि कैसे बचें केमिकल से...?
आखिर क्या खाएं...?