
नई दिल्ली : 1978 बैच के आईआरएस अधिकारी के वी चौधरी की सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) के रूप में नियक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल मामला चल रहा है लेकिन इससे पहले भी के वी चौधरी को केंद्र की सरकार ने सत्ता में आने पर कई महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया। कई लोगों ने सवाल उठाया कि आखिर चौधरी पर केंद्र सरकार की इतनी मेहरबानी का कारण क्या है। गौरतलब है कि के वी चौधरी वही अधिकारी हैं जिनकी अगुवाई में साल 2013 में नितिन गडकरी की फर्म पर छपेमारी की गई थी जिसके बाद गडकरी को इस्तीफ़ा तक देना पड़ा था। मीट एक्सपोर्टर मोईन कुरैशी पर छापेमारी करने में चौधरी की ही भूमिका रही। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान मोईन कुरैशी और सरकारों की मिलीभगत का भी जिक्र किया था।
सहारा पर IT की छापेमारी में चौधरी को मिले नेताओं से जुड़े अहम दस्तावेज
नरेन्द्र मोदी सरकार ने उन्हें अगस्त 2014 में CBDT के चेयरमैन के रूप में नियुक्त किया। चौधरी का CBDT के चेयरमैन के रूप में कार्यकाल तीन ही महीने का था लेकिन रिटायर होने से पहले 22 नवंबर 2014 को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने सहारा पर छपेमारी की। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को इस छापेमारी के दौरान कई इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड, बैंक से जुड़े दस्तावेज और सहारा द्वारा कई नेताओं को चंदा देने के कागजात मिले। सूत्रों की माने तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में इन दस्तावेजों में जो डिटेल मिली उसमे कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और कई ताकतवर नेताओं के नामों का जिक्र है, जिनको सहारा द्वारा चंदा दिया गया था।
सरकार के लिए इसकी जाँच चुनौती
सूत्रों का मानना है कि इनकम टैक्स विभाग के पास सहारा द्वारा नेताओं को करोड़ों का चन्दा देने के सबूत थे लेकिन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस मामले में क्या किया कोई नही जानता। हालाँकि कालेधन की लड़ाई लड़ रही मौजूद सरकार के लिए भी इसकी जाँच करना एक चुनौती होगा। कहा जाता है कि यह जांच बेहद संवेदनशील थी लेकिन चौधरी द्वारा इस मामले को मैनेज कर लिया गया। मोदी सरकार ने 8 जून 2015 को जहाँ के वी चौधरी को सीवीसी का हेड बनाया। चौधरी ऐसे पहले सीवीसी चेयरमैन हैं जिन्हें नॉन आईएएस होते हुए भी सतर्कता आयुक्त बनाया गया। यह भी उनपर केंद्र सरकार की मेहरबानी रही कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ब्लैकमनी की जाँच के लिए बनाई गई स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (SIT) का उन्हें अडवाइजर बनाया गया।
चौधरी की सीवीसी नियुक्ति पर कई सवाल
चौधरी को सीवीसी के रूप में नियुक्त करने पर 22 जुलाई 2015 को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई। जिसमे कहा गया है कि सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर के रूप में ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति सही नही है। याचिका में कहा गया कि सिलेक्शन कमेटी द्वारा उनके बारे में कोई जानकारी नही ली है। सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण का कहना है कि सीबीआई डायरेक्टर रंजीत सिन्हा के अंडर में जब इनकम टैक्स अधिकारियों की जांच की जा रही थी तब वह सिन्हा से उनके घर पर चार बार मिले थे। रामजेठमलानी और सुब्रमण्यम स्वामी ने भी उनके अपॉइंटमेंट पर सवाल उठाया था।