अंदर का शोर अच्छा है थोड़ा दबा रहे,
बेहतर यही है आदमी कुछ बोलता रहे I
मिलता रहे हंसी ख़ुशी औरों से किस तरह,
वो आदमी जो खुद से भी रूठा हुआ रहे I
बिछड़ो किसी से उम्र भर ऐसे कि उम्र भर
तुम उसको ढूंढो, और वो तुम्हें ढूंढता रहे I
-सलमान अख्तर
14 अप्रैल 2016
-सलमान अख्तर
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आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D