🌷🌹"अंगसंग रमज़ राम की"🌹🌷
'ऊपरवाला' है कितने ऊपर, क्या कोई यह हमें बतलाएगा?
दुःख-दर्द में मदद करने को, यह रब कितनी देर लगाएगा?
हर ज़र्रे रमज़ रब की 'मोहन', गुरुज्ञान से नज़र ये आएगा।
सबका रखवाला मददगार यह, हर ज़गह ही मदद पहुंचाएगा।
हर ज़र्रे में ही रमा राम है, फिर भी कहते ऊपर वाले।
हरि व्यापक सर्वत्र समाना, जान ना पाए पढ़ने वाले।
खुदा को ढूंढ़ रहे हैं नभ में, 'मोहन' रब है आल दुआले।
पूर्ण सत्गुरू से जो जाने, अंगसंग रमा राम देखें मतवाले।
जांच परख प्रमाणित करते हैं, हर एक वस्तु लेने से पहले।
जीवन लक्ष्य प्राप्त करने को, क्या है जरूरी सबसे पहले।
साजन सबके निकट खड़ा है,पर गुरु नज़र में लाए 'मोहन'।
फिर हरपल अंगसंग रब ही है, जाने मन की सबसे पहले।
आवाज़ लगा लें चाहें कितनी भी, पर यह रब नज़री आता ना।
कितनी खोज छानबीन कर लो, बिन गुरू कोई दिखलाता ना
पढ़ लें चाहें सारे ही रब्बी ग्रंथ, तिल भर जान न पाया 'मोहन'।
एक बार गुरू से जान लिया तो, फिर रब के सिवा कुछ भाता ना।
शुकर करूँ हरपल सत्गुरू का, जो अंगसंग रब को दिखलाया।
गुण-अवगुण न मज़हब चितारा, जो जैसा भी उसे कण्ठ लगाया।
ये सबकी सुनने जानने वाला, 'मोहन' सब दातों का दाता है यह।
राम रमैय्या की रमज़ में रहकर, हरपल ही रज़रज़ लुत्फ़ उठाया।
🌺शुकर ऐ मेरे रहबरां🌺
🙏धन निरंकार जी🙏