🌷🌹"माँ पासंग न कोई"🌹🌷
कोई अम्मा मम्मी मम्मा मॉम मदर कहे,तो कोई कहे अम्मी आई माँ।
सबसे ही प्यारी ये सबसे ही न्यारी होती, ममता की है तरुणाई माँ।
दिव्य गुणों को भरती है शिशु में, 'मोहन' सिखाती सदा अच्छाई माँ।
इसी लोक में जन्मी पली-बड़ी है, लगे देवलोक से जैसे आई माँ।
निज शिशु को हंसते देख हंसती है, रोते देखकर रोती है माँ।
सुख-दुःख सदा ध्यान रखती ये, गृहस्थ पे कुर्बान होती है माँ।
माँ के चरणों में जन्नत है 'मोहन', गलती से भी न तिरस्कार होवे।
सारे दुःख हंसकर सहती है, अपनों को देख खुश होती है माँ।
सासू माँ को इक माँ न समझना, ये सबसे ही बड़ा अपराध है।
श्रध्दा जीतेजी न की जिसकी,फिर क्या श्रद्धा क्या श्राद्ध है।
माँ तो सिर्फ़ माँ ही होती 'मोहन', क्या पति की क्या पत्नी की।
कर्ज़ चुका न सकते इसके कभी, माँ की ममता तो अगाध है।
माँ जैसा ना कोई इस जहां में, माँ धरती सम है माँ रब है।
माँ को समझना नहीं आसान, माँ से ही जीने का सबब है।
दुआएं देकर ममतामयी माँ, 'मोहन' हरती बलाएं सब है।
सदा समर्पित रहके मुस्काए, ममत्व ही इसका मज़हब है।
हर इक रिश्ते की गहराई को, सिर्फ़ सत्गुरू ही तो समझाता है।
देव तुल्य नज़र आती है माँ, सत्गुरू मरम हक़ीक़ी बताता है।
माँ पासंग कोई नज़र न आता, 'मोहन' माँ सबकी जन्मदाता है।
पीर पैग़म्बर सत्गुरू आदि की भी, जन्मदात्री तो फ़क्त माता है।
🌺माँ के हम सदैव ही ऋणी हैं🌺
🙏धन निरंकार जी🙏