🌷🌹"हिंदी भाषा की राष्ट्रीय - अंतराष्ट्रीय स्तर पर उड़ान - कवित्व"🌹🌷
ज्यों सुहागिन के सुंदर ललाट पर, हमेशा ही चमकती बिंदी है।
ऐसे ही सर्वश्रेष्ठ आलोकित भाषा, हम सबकी प्यारी हिंदी है।
हिंदी बनके सुरसरि प्यास बुझाती, संगम बनने वाली कालिंदी है।
वीणादायिनी वरदायिनी हिंदी है, संगीत सरगम की सुरंगनी है।
जाति मज़हब स्तर क्षेत्र का 'मोहन', बिल्कुल भेद न चिंदी है।
हिंदी ही सबको प्यारी लगती, चाहे वो हिंदू मुस्लिम सिंधी है।
अटल बिहारी वाजपेयी जनक थे हिंदी के, संयुक्त राष्ट्रसंघ संसद में।
शिकागो हिंदी में बोले विवेकानंद जी, विश्व धार्मिक अधिवेशन में।
मोदी सुषमा स्वराज ने भी 'मोहन', बिगुल हिंदी का फूंका विश्व प्रांगण में।
हिंदी की स्वर तरंगिणी दस दिशा में गूंजे, क्या थल जलवायु एवं गगन में।
हरेक श्वास श्वास में बसी है हिंदी, गुंजरित होती हर इक धड़कन में।
शोर सा मचा हुआ है सब ओर, मनभावन हिंदी रूच गई हरइक मन में।
सूर्य की स्वर्णिम आभा किरण सी, हिंदी का आलोकित स्थान है।
चहचहाते परिंदों के कलरव सा, हिंदी का मधुर सुर लय गान है।
हिंदी बन हरियाली खुश्बू सी महकती,यह रसना का वरदान है।
आसानी से बोली समझी जाती, हिंदी हौसलों की बुलंद उड़ान है।
मकरन्दी सतरंगी हिंदी की, व्याप्त गुलकन्दी मिठास है 'मोहन'।
सबके ही दिल को भाने वाली तो, यह हिंदी भाषा बड़ी महान है।
पढ़ा था विद्यालय में हमने भी, विषय गणित हिंदी आंग्ल विज्ञान।
पर पढ़ने तक ही सीमित रहा मैं, हिंदी पे नहीं दिया विशेष ध्यान।
हिंदी ही मेरा सब कार व्यवहार है, हिंदी से ही तो मैंने पाई पहचान।
हिंदी बिना इस सारे जगत में, हिंदी बिन क्या मान-अभिमान।
सतत प्रयास से ही संभवत: हिंदी, विश्व में पा सकती सम्मान।
इतनी प्यारी मनमोहक भाषा का, कोई भी न कर सकता अपमान।
हिंदी की प्रतिष्ठा को हम सभी, दिलाना चाहते ख़ास ऊंचा पद।
हिंदी-गरिमा को गर महसूस करें तो, नहीं है ऊंचा किसी का कद।
कितनी ही भाषाएं हैं जगत में, सभी तो प्यारी लगतीं 'मोहन'।
हिंदी के समक्ष सब बौनी लगतीं, जिसका कहीं न कोई भी मद।
हिंदी है मधुर आवाज़ दिलों की, हिंदी की है न कोई भी सरहद।
विश्व में तूती बोल रही हिंदी की, यह प्यारी भाषा है विशेष अदद।
हिंदी भाषाईयों ने देखो रे बंदे, पूरे विश्व में परचम लहराया है।
बहुद्देश्यीय प्रयोग है इस हिंदी का, देवनागरी का रुतबा पाया है।
वेद पुराण रामायण श्रीभागवत गीता, हर रब्बी ग्रन्थ अपनाया है।
छंद सवैया दोहा चौपाई सोरठा, पद अभंग आदि में इसे गाया है।
राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंच पे 'मोहन', कवियों ने धमाल मचाया है।
समास रस अलंकार में अलंकृत, हिंदी ने शीर्ष स्थान बनाया है।
🌺जय माँ वीणावादिनी🌺
🙏सभी को हार्दिक अभिनंदन🙏