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भाग-1

22 मई 2024

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पार्क में टेबल पर बैठी वह लड़की अब पूरी तरह से खुद को असहाय महसूस कर रही थी। पार्क की हल्की-हल्की हवा भी उसे भारी लग रही थी, मानो उसके अंदर से सारी ताकत खींचकर ले जा रही हो। उसके चारों ओर फैली हरियाली भी अब उसे अंधकारमय और डरावनी प्रतीत हो रही थी। उसके मन में लगातार उथल-पुथल मची थी। उसे लग रहा था कि जैसे यह उसकी जिंदगी का अंत है, एक ऐसी तबाही जो उसे पूरी तरह से निगल जाएगी।

अचानक, आसमान में जोर से गरज की आवाज़ गूंजी। बादल और भी घने हो गए थे। बिजली चमकने लगी, मानो आकाश स्वयं इस युद्ध के आगाज की घोषणा कर रहा हो। हर एक चमकती बिजली के साथ उसका दिल जोर से धड़कने लगा, उसकी धड़कनें जैसे इस गरज में समाहित हो गई हों।

फिर, वह घबराकर इधर-उधर देखने लगी। पार्क में अब कोई नहीं था, सब जा चुके थे। वह अकेली थी। उसका सारा आत्मविश्वास, सारी आशा, सब कुछ जैसे इस भयंकर तूफान की पहली लहर के साथ बह चुका था। उसके भीतर का डर और बढ़ता जा रहा था। हर कदम पर उसे ऐसा लग रहा था कि अब कुछ भयानक घटने वाला है।

वह अपने दोनों पैरों के बीच अपना सिर देकर सिसकारियां भर रही थी , लेकिन उसकी सहायता करने के लिए ऐसे कोई हाथ नहीं थे, जो उसे यह कह दे कि तुम क्यों रो रही हो बेटी शांत हो जाओ , तुम्हें क्या समस्या है , तुम्हारी समस्या का समाधान हम निकालेंगे।

लेकिन ऐसा नहीं था , उसके इर्द-गिर्द कुदरत की नजारे चलने वाली मंद हवा से झूम रहे थे । इस समय दोपहर का समय था , सूर्य सिर के ऊपर आ चुका था , लेकिन इसकी सहायता करने वाला यहां कोई नहीं था। पता नहीं यह किस का इंतजार कर रही थी ।

अचानक, उसके फोन की घंटी बजी। उसने कांपते हाथों से फोन उठाया, परंतु उसके कानों में जो आवाज़ आई, वह पहले से भी भयावह थी। यह उसका कोई करीबी हो सकता है ,जो इतना चिल्लाकर बातें कर रहा था। आवाज़ में एक गहरा और ठंडा सन्नाटा था, जो उसकी रीढ़ की हड्डी में सिहरन पैदा कर रहा था।

" तुम कितना भी इंतजार कर लो , मैं आने‌ वाला नहीं हूं ,जब तक तुम मेरी बात नहीं मान लेती हो । मेरे से अनजाने में गलती हुई तो क्या हुआ , कोई बड़ा बम तो नहीं फट गया , इस समय अक्सर लड़कियों के साथ ऐसा हो जाता है और वे लड़कियां अपनों की बातें मान भी जाती है , लेकिन तुम अपनी ज़िद्द से पीछे क्यों नहीं हट पा रही हो , मेरी बात मान जाओ और मैं जैसे कहता हूं , वह कर लीजिए , नहीं तो आज के बाद मेरा तेरे साथ कोई रिश्ता नहीं।"

वह सोलह साल की लड़की सिसकारियां भरते हुए कहने लगी , तुमने इस बारे में पहले क्यों नहीं सोचा था , जो तुम अब सोच रहे हो । मैं बात नहीं मानने वाली हूं । तुम नहीं आओगे तो क्या होगा ?
मै अपने सिर लगने वाले बदनामी के कलंक से डरने वाली नहीं हूं , मैं तुम्हें खींचकर निकलवा लूंगी चाहे तुम कहीं पर ही क्यों ना छिपे हो ??

नये-नये सपनों का नया चमन सजाकर आजीवन मेरे साथ रहकर मेरे जीवन को सजाने वाले तेरे वे वायदे आसमान की किस हवा में उड़ गए , जिन्हें तू भूल गया । अब तू सोच ले , मैं अकेली यहां बैठकर इंतजार कर रही हूं , अगर तू नहीं आया तो तुम्हें इसके गहरे परिणाम भुगतने होंगे, क्योंकि इस समय मेरे माता-पिता इस बात से अज्ञान है , उन्हें इस बात का पता चला कि उसके साथ इस तरह की घटना हुई है तो वे शांत नहीं बैठ पायेंगे , तुम्हें आकाश या पाताल से खोजकर तेरी वो हालत खराब करेंगे , जो तू आज तक सोच नहीं पायेगा कि तेरे साथ ऐसा भी कुछ हो सकता था ।

उसकी आवाज़ में अब दृढ़ता और क्रोध की ज्वाला थी, जो उसके अंदर की पीड़ा और निराशा से निकलकर बाहर आ रही थी। उसने फोन को जोर से बंद कर दिया, मानो उसके पीछे छिपे व्यक्ति से अब कोई संबंध नहीं रखना चाहती हो। उसकी सांसें तेज हो गई थीं, और हाथ अब भी कांप रहे थे। वह एकदम गुस्से और बेबसी की धधकती आग में जल रही थी, लेकिन उसकी आंखों में अब डर नहीं था—बल्कि बदले की एक चमक थी।

उसके चारों ओर की दुनिया अब उसे ठहरी हुई लग रही थी। पार्क की हवा, पेड़, और आसमान सब अचानक शांत हो गए थे, मानो प्रकृति भी उसकी इस निर्णायक पल की गवाह बनना चाहती हो। उसके मन में विचारों का बवंडर चल रहा था—अब क्या करना है? उसने अपने जीवन में जो खो दिया था, वह उसे वापस पाने का समय शायद अब खत्म हो चुका था। लेकिन अब यह उसकी लड़ाई थी, और वह इसे किसी भी कीमत पर हारने को तैयार नहीं थी।

सूरज की तेज़ किरणें उसकी आंखों में चुभने लगीं, लेकिन वह अब इन्हें नजरअंदाज कर रही थी। उसकी आंखों में एक नया संकल्प उभर आया था। उसे अब इस पूरे प्रकरण का अंत अपने तरीके से करना था—जिस तरह से उसे सही लगता था, बिना किसी के दबाव के। वह जानती थी कि आगे की राह कठिन होगी, लेकिन यह रास्ता उसकी खुद की आजादी का था।

इस समय वह अपने आप को असहाय सा महसूस कर रही थी , उसका हर शब्द उसके दिल में कांटे की तरह चुभ रहा था , इस समय उसे पछतावा हो रहा था कि उसने इस राह को क्यों चुना था? जो उसे इस तरह का कष्ट सहन करना पड़ रहा था ।

अचानक से उसे फिर से कॉल आया , प्लीज़ मान जाइए ना । यार इतनी सी उम्र में जिम्मेदारियां लेकर हम लोगों का जीवन खराब हो जायेगा ।

क्यों हो जायेगा ? तुमने उस वक्त इस बात को क्यों नहीं सोचा , जब तू जोश ही जोश में सब कुछ कर बैठा ? मजा की सजा तो मिलकर ही रहेगी , तुमने जो मजा लिया है उसका भुगतान तुम्हें जिंदगी भर करना ही होगा।

आवाज में घोर पीड़ा थी , आंखों में आसूं थे , लेकिन मन में एक दृढ़ संकल्प नजर आ रहा था , जो उस लड़की को मजबूती दे रहा था ।

प्रिय पाठकों फिर से मैं एक नई कहानी आपके सामने लेकर आ रहा हूं , निश्चित तौर पर यह कहानी आपको बहुत अच्छी लगेगी , आप मेरी इस रचना पर समीक्षा करें और कमेंट दे , रेटिंग दें , जो आपको रचना के आधार पर उचित लगे । आप मेरी कहानी को पढ़ने की शुरुआत कर रहे हैं इसके लिए मैं आपका तहेदिल से आभार व्यक्त करता हूं।


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