shabd-logo

अंतिम मिलन भाग 6

12 अक्टूबर 2024

1 बार देखा गया 1

एपिसोड 5 में आपने पढ़ा सिद्धांत अपनी पत्नी अंजली को ठीक करने के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार है। छोटे बेटे दुष्यंत से हुई बातचीत भी आपने पढ़ी , अब आगे पढ़िए...

दुष्यंत से बात करने के बाद सिद्धांत फिर से ऑफिस के कामों में लग गया।
 थोड़ी देर बाद उसने डॉक्टर मूर्ति को फोन किया और उनसे कहा कि वह गीतांजलि का चेकअप दुबारा कराना चाहता है। डॉक्टर मूर्ति उसकी शंका को समझ गए, उन्होंने सिद्धांत को विश्वास दिलाया कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो वह सोच रहा है और फिर उसे मुंबई जाना है तो वहां पर डॉ तरंग, गीतांजलि की सारी जांचें दोबारा कराएंगे ही, तो फिर बार-बार का खर्चा क्यों?
 सिद्धांत को डॉक्टर मूर्ति की बात सही लगी। अब उसका अगला कदम मुंबई के हॉस्पिटल में जाकर डॉ तरंग से मिलना था।
 घर पहुंचा तो गीतांजलि उसका इंतजार कर रही थी। आज वह बिल्कुल समय पर था, इस बात का संतोष गीतांजलि के चेहरे पर भी था नीले रंग की बांधनी प्रिंट की साड़ी में वह कितनी खूबसूरत लग रही थी। उम्र का असर उसके चेहरे पर कम ही आया था।
 गीतांजलि ना टोकती तो वह थोड़ी और देर के लिए, उसे निहारता ही रहता, 
गीतांजली ने कहा, "क्या हो गया है तुम्हें आजकल कितने रोमांटिक हुए जाते हो!
 कोई दवाई वगैरह लेनी तो शुरू नहीं कर दी तुमने?
 या कुछ इंग्लिश पिक्चर देखना
 कहीं किसी बुरी संगत में तो नहीं हो ना?"
हेमलता ऊपर छत पर सूखे हुए कपड़े लेने गयी थी इसलिए मौका भी था उसके पास सिद्धांत को छेड़ने का।
दोनों हाथ फैलाकर शाहरुख खान की तरह सिद्धांत बोला, " जी हाँ, जिंदगी को दोबारा जीने की दवाई खा ली है!
  फिल्में... फिल्में तो अतीत की चल रही हैं आजकल! 
संगत, संगत तो बहुत बुरी है तुम्हारे प्यार की संगत में हूं, जानेमन!"
"अच्छा तो आज क्या याद आ गया तुम्हें?" अंजली ने एक हीरोइन की तरह इतरा कर पूछा।
"अरे वही याद आ गया यार! तुम्हारा आकाश याद है, कितना मारा था उसे मैंने।"
सिद्धांत फूलकर बोला।
 अंजलि हँसी उड़ाते हुए बोली "हाँ, याद है, उसने भी तुम्हें कितना मारा था।" 
 "ज्यादा मत बनो, मैं जो उसे मार रहा था, वह भी तुम्हारे लिए और जो उससे पिट रहा था, वह भी तुम्हारे लिए" वो नाराज़ हो गया। "किसने कहा है तुम लड़कों को लड़कियों के लिए इतना दीवाना होने के लिए?
 मारने में भी मज़ा आता है और मार खाने में भी मजा आता है" लड़कों की आदतें बताते हुए वो बोली।
"अंजलि प्यार इसी को कहते हैं और लड़के अपने प्यार पर मर मिटना जानते हैं।"
सिद्धांत की आंखों में कल वाली शरारत जन्म ले रही थी।
" वैसे हुआ क्या था? 
तुम्हारी लड़ाई शुरू कैसे हुई थी यह बताओ?
इतने में हेमलता ने टोक दिया, "मुझे भी सुनना है, लड़ाई वाला किस्सा।"
"चाय ले आओ पहले,
और तुम..तुमने क्या बनाया है मेरे लिए आज?" सिद्धांत ने हेमलता और गीतांजली दोनों को इंस्ट्रुक्शन्स दे डाली।
"लेकिन भूल मत जाना!
 मुझे सुनना है तुम्हारे मुँह से,
 तुम कोई भी किस्सा बड़े मजेदार तरीक़े से सुनाते हो" किस्से को सुनने का लालच अधीर कर रहा था गीतांजली को।
"हाँ, ठीक है! चाय डार्क बनाकर लाना, मैं चेंज कर लेता हूँ तब तक।"
 हेमलता दूर से ही जब अपनी मां जैसी गीतांजलि और पिता जैसे सिद्धांत को हंसते बोलते देखती थी तो मन ही मन बहुत खुश हुआ करती थी। आज उसके पिताजी, मां के बिना कैसे ढल से गए हैं! बेटी हूं ना, इसलिए उन्हें अपने घर ला भी नहीं सकती। भाभी उनका ध्यान नहीं रखती या फिर रखना नहीं चाहती। 
काश! माँ होती! तो मेरे मम्मी पापा भी ऐसे ही हँस बोल रहे होते!
 हेमलता गीतांजली से बोली, "मांजी! आज खाने में थोड़ी देर हो जाए तो कोई बात तो नहीं है?"
 "क्यों क्या हुआ हेमलता" शंकित भाव से गीतांजली बोली फिर खुद ही याद आने पर "अरे हाँ! वह आकाश वाला किस्सा सुनना है तुम्हे, बुद्धु ! टाइम पर खाना जरूरी है या तेरे बाउजी का किस्सा? 
सिद्धांत ने चाय की चुस्की के साथ किस्सा सुनना शुरू किया।
"ये तो तुम जानती ही हो कि हम तुम्हारी माँजी पर पहली ही नज़र में लट्टू हो गए थे।ये पहले दिन कॉलेज में आई थीं- इनका आसमानी रंग का लखनवी सूट, लंबी चोटी इनका वो सादा रूप और गोल आंखें बस हमारे दिल में उतर गया थीं।
 उस दिन यह तो नहीं पता चला कि इन्हें हम कैसे लगे? लेकिन हमने कुछ ठान जरूर लिया था, कुछ तय जरूर कर लिया था और फिर ईश्वर ने ऐसी कृपा की... ऐसे रास्ते सुझाए... कि ये और मैं करीब होते चले गए और जिंदगी के इतने साल हमने साथ... हंसते-बोलते कैसे गुजार दिए पता ही नहीं चला!" बोलते बोलते सिद्धांत शून्य में निहारने लगा।
"मुझे खुद बहुत अच्छा लगती है बाउजी, आपकी हँसती, खेलती गृहस्थी। ईश्वर कभी भी आपकी खुशियों को नज़र ना लगाए!
मैं खुद, कभी भी आपके घर के काम को छोड़ना नहीं चाहती।दूसरे घरों में भी काम करती हूं लेकिन जो सुख- जो प्यार मुझे आपके घर में देखने को मिलता है वह मुझे किसी घर में नहीं मिलता।
दूसरे घर राजनीति और चालबाज़ियों से, लड़ाई-झगड़े से, नफरत से भरे पड़े हैं। लेकिन यहाँ आकर बहुत अच्छा लगता है मुझे।
 मेरा बस चले तो पूरे दिन यहीं रहूँ मैं!" हेमलता ने दोनों के घर का कितना सुंदर बखान किया आज।
"तो मना किसने किया है पगली! तेरा जितना दिल करे उतना रह यहाँ पर!" बड़े लाड़ से गीतांजली बोली।
 "सब देखना पड़ता है माँजी बच्चों को भी देखना पड़ता है। लेकिन मैं बहुत कोशिश करती हूं अपने घर को आपके घर जैसा बनाने की।" उसकी आँखों में ममता के आंसू थे।
माहौल को बदलते हुए सिद्धांत ने किस्सा फिर से शुरू किया,
 हाँ, तो कहाँ थे हम- हमको तुम्हारी माँजी बहुत पसंद आ गई थीं! 
अब तुम्हें लड़कों की छिछोरे वाली आदतें तो पता ही हैं, हम इनके पीछे-पीछे।
 अब यह कुछ भी करें, हमारी नजरें इन पर ही रहें! यह क्या खाती हैं? कहां किस से बात करती हैं? क्या पढ़ती हैं? हमें सब कुछ पता होता। अगर हमें... कुछ नहीं भी पता होता- तो हमारे चेले चंटारी... सारी ख़बरें हमें लाकर देते थे।
 फिर धीरे-धीरे पता चला कि और भी लड़के हैं कॉलेज के, जो इन पर लट्टू हैं।
 अब हम कैसे बर्दाश्त कर सकते थे भला?
(सिद्धांत के किस्से में एक्शन, इमोशन लव, सबका तड़का साथ के साथ लग रहा था।)
वो आगे बढ़ा- एक बार की बात है, मेरी क्लास का एक लड़का आकाश इनके साथ बैठकर समोसे खा रहा था कैंटीन में।
 बहुत आग लगी हमें। हमने अपने आप को संभाला और हम भी पहुंच गए कैंटीन।
 इन्हीं के टेबल पर जाकर बैठ गए। (कहानी में फुल रोमांच भर दिया था सिद्धांत ने) उसको यह बुरा लगा।
लेकिन! तुम ही सोचो हेमलता!
क्या मैं अकेले समोसे खाने देता उसे इनके साथ। मैं जाकर इनकी टेबल पर जबरदस्ती बैठ गया। वह बोला- "यही टेबल मिली है?दूसरी टेबल खाली हैं, वहां जाकर खा लो।"
" अरे ऐसे कैसे खा लें, तुम हमारे क्लासमेट हो , तुम्हारे साथ बैठकर खाएंगे।" हम पूरी तरह गुंडई पर उतरे हुए थे उस दिन।
 "अरे हमारा तो मन नहीं है, तो तुम कैसे खाओगे हमारे साथ? सिविक मैनर्स भी कोई चीज होती है?" आकाश आग बबूला हो गया।
 अब हम तो आ गए भैया मुम्बई के भाई वाले स्टाइल में। अपने आप को शत्रुघ्न सिन्हा से कम थोड़े ही ना समझ रहे थे उस वक़्त।
" भैया कॉलेज की कैंटीन है, यह कोई पर्सनल प्राइवेट रूम नहीं है जो कोई दूसरा नहीं आ सकता। पब्लिक स्पेस पर तो कोई भी, कहीं भी बैठ सकता है।"
पीछे खड़े लौंडो के बल पर हम पूरी तरह आकाश से उलझ रहे थे।
" तो ठीक है तुम यहां बैठो हम दूसरी टेबल पर जाते हैं। चलो गीतांजलि हम उधर बैठकर समोसे खाएंगे।" उसने अंजली को ऐसे इंस्ट्रक्शन दी जैसे वो उसकी गर्लफ्रैंड हो।
 अंजली ने उसकी उम्मीद पर पानी फेर दिया, "कहने लगी...यहां खाने में क्या बात है आकाश? यही खा लेते हैं ना? बैठे रहने दो इनको भी।"
मैं जानता था, कि उसके दिल में कुछ और था । क्या पता वो अंजलि को प्रपोज करने वाला हो या अपनी कोई दिल की बात कहने वाला हो! मैं कैसे कहने देता भला!
 मेरा पत्ता कट जाता तो।
 गीतांजलि ने जब आकाश की बात को नहीं समझा तो आकाश लगा भुन-भुनाने और बिना सोचे समझे मेरे कान के नीचे बजा दिया।
 मुझे भी इसकी आशा नहीं थी कि वह एकदम थप्पड़ लगा देगा, वो भी एक लड़की के सामने! 
 मैंने लिया उसकी कमीज को गिरेबान से पकड़ा और खींचता हुआ कैंटीन के बाहर ले गया । 
तो जी फिर देखो, जो हम दोनों के बीच में धुनाई हुई है! उसने मुझे मारा मैंने उसे मारा।ये घूँसा, ये लात।
 अब लड़कियों का क्या है दूर से ही खड़ी, अरे रहने दीजिए ना! यह क्या कर रहे हो? यह क्यों कर रहे हो? यह सब ठीक नहीं है। आप लोगों को प्रॉब्लम हो सकती है।
और हम थे, कि अपनी मर्दानगी, गीतांजलि के सामने साबित करने में लगे हुए थे। अगर थोड़ी देर और हमारे दोस्त हमारे बीच में ना आते तो जरूर उस दिन हम टूट फूटकर ही अपने घर जाते। 
हेमलता और गीतांजली हंस-हंस कर लोट-पोट हो गईं।
 हेमलता ने पूछा, "बाउजी मैंने तो कभी भी आपको तेज आवाज में बोलते तक नहीं देखा और आपने इतना सब किया.. मुझे यकीन नहीं आ रहा।"
अपनी माँजी से पूछ लो, इन्हीं की वजह से तो हो रहा था सब। 
"माँजी, आपको मजा तो बहुत आ रहा होगा कि मेरी वजह से दो लड़के एक दूसरे को कूट रहे हैं" हेमलता ने उसे छेड़ा।
" अरे मेरी वजह से क्यों?  लड़के तो होते ही बेवकूफ हैं।" गीतांजली ने तुनक कर कहा।
 " मैं तो कभी कॉलेज गई नहीं बाबू जी लेकिन जब मैं आप दोनों की कॉलेज की बातें सुनती हूँ तो बहुत मजा आता है। मैं भी कॉलेज गई होती,  यह सब देखती, कितना अच्छा लगता!" हेमलता ने अभावों की बात फिर से कर दी।
" एक बात बताओ हेमलता जिसके बचपन के, जिसकी जवानी के किस्से ही ना हों। उसकी जिंदगी मैं यादों के नाम पर क्या रखा है? बचपन के अपने पुराने किस्सों को, यादों की पोटली को इतना महका कर रखना चाहिए, इतना महफूज रखना चाहिए कि जीवन में जब कभी भी खुशबू की कमी पड़ जाए, प्यार की कमी पड़ जाए, उस पोटली को खोलो और बस फिर से खुश हो जाओ फिर से महका लो अपना जीवन।
तुम्हारे जीवन में भी कॉलेज की ना सही और बहुत सी मीठी यादें होंगी। निकालो अपनी पोटली और महकाओ अपने बच्चों का अपना जीवन। 
तुम्हारी माँजी को मैंने यही कहा है कि मैं अपने जीवन को फिर से एक बार जीना चाहता हूँ।
 कोई बुराई है क्या इसमें?
 "आप गलत नहीं हो सकते बहुत भाग्यशाली हैं माँजी जिन्हें आप जैसा पति मिला। अच्छा अब देर हो रही है, मैं खाना बनाती हूँ।"
हेमलता ने रसोई का रास्ता पकड़ा।
 आज गीतांजलि की आंखों में शरारत भरी हुई थी। शायद उसे भी अपनी जवानी फिर से याद आ गई थी। शरारत से बोली, "आज क्या विचार है फोन एयरप्लेन मोड पर डालना है या नहीं?"
 गीतांजलि से यह सुनते ही सिद्धांत बाग-बाग हो गया।
 यही तो वह मौका था जिसको वो ढूंढ रहा था। एकदम झपट कर बोला, "घर में हनीमून मनाने से क्या होगा, हमें थोड़ा बाहर निकलना होगा, लोकेशन चेंज करनी होगी जानू!"
 मतलब?
"मतलब क्या, मैंने मुंबई जाने का प्रोग्राम बना लिया है।"
 "ओहो! तुम तो कुछ ज्यादा ही..
 ..नहीं-नहीं बहुत ज्यादा" लजाते हुए अंजली बोली।
" तो कब जा रहे हैं" उसने पूछा
" बस परसों" सिद्धांत ने बेबाकी से उत्तर दिया
 "इतनी जल्दी?? हैरान होकर गीतांजली बोली
 "हां हां बाद में तुम पलट गई तो??
 तुमने हनीमून के लिए मना कर दिया तो.? मेरा क्या होगा?" एक्टिंग करता तो ऑस्कर ही जीतता सिद्धांत।
 " पैकिंग शुरू कर दो और सुनो! साड़ियां वगैरह मत रखना। कुछ हीरोइन स्टाइल रखना, कुछ इरोटिक रखना, कुछ मॉडर्न रखना।
 मुझे मुंबई जाकर पुरानी वहीदा नहीं हेलेन चाहिए।" मस्तानी इंस्ट्रुक्शन्स थीं सिद्धांत की।
 "धीरे बोलो हेमलता सुन लेगी" औरतें आसमान में उड़ते हुए भी जमीन पर ही रहती हैं। अंजली ज़मीन पर थी।
 "सुन लेगी तो क्या, हम से कुछ सीख ही लेगी।" सिद्धांत शरारती अंदाज़ में बोला।
" तुम पागल हो गए हो बिल्कुल।" सिद्धांत को प्यार से धिक्कारती हुई वो बोली।
 डिनर करके, टीवी वगैरह देख कर रात को जब बेड पर पहुंची तो गीतांजलि को सिद्धांत पर इतना प्यार आया कि उसने सिद्धांत का मुँह चूम-चूम कर लाल कर दिया।
 सिद्धांत को कहना पड़ा, "बस भी करो डिअर, मुझे कल ऑफिस जाना है, इतना एक्साइटेड होगी तो मुझे परसों की जगह कल ही प्रोग्राम बनाना पड़ेगा।"
 दोनों ने एक दूसरे को कसकर अपनी बाहों में भींच लिया और सो गए।
 अगली सुबह बहुत तरोताजा थी। ऐसा लग रहा था कि वातावरण में कुछ महक सी है।  तीन-चार दिन से जिन मुश्किलों में सिद्धांत घिरा हुआ था जैसे उसके सर से हट गई हों। बहुत हल्का महसूस कर रहा था, आज। शायद वो अपने आप को यकीन दिला रहा था कि उसकी अंजली जरूर ठीक हो जाएगी।
वह अपने पसंद की हल्की गुलाबी चेक की हाफ बाजू की शर्ट और नीचे व्हाइट पैंट पहनकर तैयार हुआ।
 गीतांजलि ने उसे ऐसे देखा जैसे वह कोई आईना हो और वह उसमें सँवर रही हो। सिद्धांत ने अंजली के चमकते माथे पर अपने गदीले होंठों की मोहर लगाकर उससे ऑफिस के लिए विदा ली।
अंजली बहुत देर तक दरवाज़े पर उसे आंखों से ओझल होने तक देखती रही।
हेमलता उनके प्रेम की जीवटता की जितनी साक्षी थी उतना उस परिवार के बच्चे भी नहीं थे। वह मन ही मन हज़ारों दुआएं देती रहती थी उनकी जोड़ी को।

 क्या क्या तैयारियां करेंगे सिद्धांत और अंजली मुम्बई जाने के लिए। क्या कोई पुरानी कहानी तो नहीं मिल जाएगी इस बार भी?
आप भी अपनी ओर से कहानी आगे बढ़ाने का प्रयास करें। मन को भा रही हो तो कृपया शेयर कीजिये।

12
रचनाएँ
अंतिम मिलन
0.0
कहानी एक बेहद खूबसूरत रिश्ते की है जिसे समाज में पति पत्नी का रिश्ता कहा जाता है। यह रिश्ता रक्त का तो नहीं लेकिन उसी कहीं अधिक गहरा और अर्थपूर्ण है। परंतु आज के परिवेश में इस रिश्ते के मायने बदल गए हैं। कहीं न कहीं निस्वार्थ प्रेम और अनुराग की जगह, ईर्ष्या और अभिमान ने अपनी गहरी पैंठ बना ली है इस संबंध में। मेरी कहानी आदर्श पति पत्नी की है, जिसकी इच्छा प्रत्येक दंपत्ति करता है। मैने इस उपन्यास में शब्दों और भावनाओं को इस तरह पिरोया है कि ये नए दंपत्तियों और होने वाले दंपत्तियों का, वैवाहिक जीवन के लिए मार्गदर्शन कर सके। जो पति पत्नी अपने वैवाहिक जीवन के कई वर्ष गुज़ार चुके हैं वे भी इसे पढ़कर रोमांचित होंगे। आशा है सरल शब्दों में लिखी हमारे नायक सिद्धांत और गीतांजली... जो सिद्धांत के लिए अंजली है, की प्रेम कहानी आप सबको बेहद पसंद आयेगी।
1

अंतिम मिलन भाग 1

25 अगस्त 2022
1
1
0

सुनिए....बड़ी मुश्किल से उसके मुँह से आवाज निकल पायी थी।गहरी नींद में सोता हुआ व्यक्ति आधा मरे समान होता है। उसकी दबी हुई आवाज़,सिद्धान्त के कानों तक नहीं पहुँच पायी। गीतांजली ने फिर से प्रयास किया। सुन

2

अंतिम मिलन भाग 2

25 अगस्त 2022
2
1
0

पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा कि रात को अंजली की तबियत अचानक खराब हो जाती है। जिसकी वजह से सिद्धांत के मन में एक अनजाना डर पनप गया है। अंजली के साथ बिताया समय बार-बार उसकी आँखों के सामने आ रहा है, अंजली क

3

अंतिम मिलन भाग 3

26 अगस्त 2022
0
0
0

पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा कि अंजली के साथ बिताए पल सिद्धांत को कैसे एक एक करके याद आ रहे थे। अंजली की तबियत खराब होने का कारण जानने के लिए वो कितना बेचैन था। आगे पढ़िए डॉक्टर मूर्ति ने डायरे

4

अंतिम मिलन भाग 4

26 अगस्त 2022
0
0
0

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि किस तरह सिद्धांत अपनी पत्नी अंजली की बीमारी का पता लगने पर रो रोकर बेहाल हो गया। डॉक्टर मूर्ति और बेटे वेदांत के साथ उसकी बातचीत भी आपने पढ़ी। अब आगे.. घर लौटने की रास्

5

अंतिम मिलन भाग 5

12 अक्टूबर 2024
0
0
0

पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा कि अंजली को खुश रखने का बड़ा ही अनोखा तरीका खोज निकाला था सिद्धांत ने। अब वे दोनों अपने पुराने समय को फिर से जियेंगे। कैसा रहेगा उनका ये आईडिया, आगे पढ़ें.. होंठों का प्

6

अंतिम मिलन भाग 6

12 अक्टूबर 2024
0
0
0

एपिसोड 5 में आपने पढ़ा सिद्धांत अपनी पत्नी अंजली को ठीक करने के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार है। छोटे बेटे दुष्यंत से हुई बातचीत भी आपने पढ़ी , अब आगे पढ़िए... दुष्यंत से बात करने के बाद सिद्धांत फ

7

अंतिम मिलन भाग 7

12 अक्टूबर 2024
0
0
0

पिछले भाग में आपने सिद्धांत और गीतांजली के कॉलेज का एक मज़ेदार किस्सा पढ़ा, साथ में ये भी पढ़ा कि सिद्धांत ने गीतांजली को कितनी आसानी से मुम्बई चलने के लिए मना लिया। अब आगे... गीतांजलि सामान पैक करती जा

8

अंतिम मिलन भाग 8

12 अक्टूबर 2024
0
0
0

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि अंजली मुम्बई जाने के लिए समान पैक कर रही थी, पहली करवाचौथ की फ़ोटो देखकर उसे अपनी सुहागरात का किस्सा याद आ गया। अब पढ़िए आगे..... आखिर वह घड़ी आ ही गई जब वे दोनों मुंबई के ल

9

अंतिम मिलन भाग 9

12 अक्टूबर 2024
0
0
0

पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा कि अंजली को होटल पहुंचकर ढेर सारे सरप्राइज मिले। वो बहुत खुश थी। मैं आप पाठकों से पूछती हूँ अगर आप अपनी शादी-शुदा जिंदगी का बड़ा हिस्सा बिता चुके हैं तो क्या आपको नहीं लगता, स

10

अंतिम मिलन भाग 10

12 अक्टूबर 2024
0
0
0

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि सिद्धांत ने किस तरह अंजली को खुश करने के लिए वो सब किया जो वह कर सकता था। लेकिन अपने दिल के दर्द को निकलने से वो रोक नहीं पाया,  अब पढ़िए आगे... जब कोई अकेला बैठ कर यादों

11

अंतिम मिलन भाग 11

13 अक्टूबर 2024
0
0
0

पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा कि सिद्धांत को डर है कि अंजली की बीमारी कहीं उसके पिता का दिया शाप तो नहीं। क्या सिद्धांत का ये डर दूर होगा? अंजली के चेहरे पर फिर से मुस्कान बिखेर पायेगा वो?  पढ़िए आगे...

12

अंतिम मिलन भाग 12

13 अक्टूबर 2024
0
0
0

पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा कि किस तरह से सिद्धांत ने चालाकी से गीतांजलि को डॉक्टर तरंग से मिलाया। साथ में यह भी पढ़ा कि उनके बुझे मन बच्चों के लिए फिर से कैसे खिल गए।  अब आगे पढ़े...  सिद्धांत की श

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए