बारिश की बूंदे भी कुछ तुम्हारी जैसी हो गई, हमने छतरी तो लगाई पर वो मुझे भिंगो गई!
पुरुष जो, लंबे समय से, संचित कर रहे होते है अपने दुःख, किसी करीबी के आ जाने पर, लावा की तरह फूट पड़ते है
"सपनों को सच करने से पहले सपनों को ध्यान से देखना होता है।”
हर कोई यहां फसा हुआ है वक्त की जंजीरों में, हर कोई यहां हंसता है केवल तस्वीरों में!
जरूरी नहीं है की इश्क बाहों के सहारे मिलें,किसी को जी भर के महसूस करना भी मोहब्बत है!
तेरी मोहब्बत पर मेरा हक तो नहीं पर दिल चाहता है आखरी सांस तक तेरा इंतजार करूँ
एक अरसे से वो कह रही है कि मैं तेरी ही तो हूँ, और सच तो ये है कि वो सिर्फ कहती ही तो है!
फिर आसमान में काली घटा छाई है, पत्नी ने फिर दो बाते सुनाई हैदिल कहता है सुधर जाऊँ, मगर पडोसन फिर भीग के आई है
ज़र्रा-ज़र्रा समेट कर खुद को बनाया है हमने,हम से यह ना कहना की बहुत मिलेंगे हम जैसे!
दिल से किसी का हाथ अपने हाथो में लेकर देखोफिर मालूम होगा कि अनकही बातों को कैसे सुना जाता है
जिन लोगों को आपसे मिलने की चाहत ना हो, उन्हें बार-बार आवाज लगाया नहीं करते!
कहीं फिसल न जाओ जरा संभल के चलना, मौसम बारिस का भी है और मोहब्बत का भी!
बादल बरस रहे, फूल सारे हँस रहेधरती भी प्यासी, झूम-झूम नाच गा रहे शीतल पड़े फुहार, पेड़ गायें मल्हारनन्ही-नन्ही बूंदों सँग, हवा भी इतरा रहे
तड़प के देख किसी की चाहत में,तो पता चले कि इन्तजार क्या होता हैं,यूँ मिल जाए अगर कोई बिना तड़प के,तो कैसे पता चले कि प्यार क्या होता हैं
अश्क छुप - छुप कर बहाना है मुझेसबके आगे मुस्कुराना है मुझेएक तरफा इश्क़ की है ये सजाउस तरफ से भी निभाना है मुझे-दिनेश कुमार कीर
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसेतेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे
तुम्हारे बिना ये दिल उदास रहता है,हर लम्हा जैसे एक साजिश का हिस्सा है।तुम्हारे संग ही तो खुशियाँ है मेरी,तुमसे ही मेरी हर सांस जुड़ी है।
जरूरत से ज्यादा उसको पिलाई ना जाए,झूठी कसमें भी उससे खिलाई ना जाए,सच में कहूं तो सच्चा इश्क वही है, भूल कर भी जो कभी भुलाई ना जाए...
वैसे तो पूरे के पूरे हम तेरे हिसाब के हैं, बस थोड़े बहोत ही अपने मिजाज के हैं...-दिनेश कुमार कीर
वो हर बार पहली मुलाकात की तरह मिलती है मुझसे... मुझे हर बार पहली नज़र का इश्क़ हो जाता है उससे...