कुछ लोग ठोकर खाकर विखर जाते हैं कुछ लोग ठोकर खाकर बिफर जाते हैं मगर सफ़लता पाते हैं वही लोग जो ठोकर खाकर निखर जाते हैं lजीवन में छोटी छोटी कठिनाईयां आती हैं और चली जाती हैं दे
गुरु कौन ? माँ जिसने दुध पिलाया पिता जिसने गोद में उठाया क्या क्या मिला जो गुरु कहलाए गुरु कौन? जिसने पढ़ाया लिखाया नैतिक शिक्षा दिया हाथ डिग्री भी थमाया किस काम आया गुरु कौन? मु
सिद्दत से काटा है हर पल तेरे साथयू ही खूबसूरत नहीं लगती तेरी यादें
मत सोना किसी की गोद में सिर रखकर, जब ये बिछड़ते है ना तो रेशम के तकियों पर भी नींद नहीं आती!
सुंदरता सस्ती है लेकिन चरित्र महंगा है घड़ी सस्ती है लेकिन वक्त महंगा है
"गिला भी तुझ से बहुत है मगर मोहब्बत भी वो बात अपनी जगह है ये बात अपनी जगह"
कहीं होकर भी मैं नहीं हूंँ, कहीं न होकर भी हूँ, बडी कश्मकश में हूँ, कि कहाँ हूंँ और कहाँ नहीं हूँ!
हर वक्त जिन्दगी से गिले शिकवे ठीक नहीं, कभी तो छोड़ दीजिए कश्तियों को लहरों के सहारे!
बारिश की बूंदे भी कुछ तुम्हारी जैसी हो गई, हमने छतरी तो लगाई पर वो मुझे भिंगो गई!
"गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पाएं बलिहारी गुरु आपने गोविंद देव मिले"गुरु है शिक्षा का सागर ज्ञान बाटे सबको बराबर पूजा हो जिसकी ईश्वर सी, स्थान पाता सबसे ऊपर जीवन दाता भी आता बा