नई दिल्ली: जिस देश में सासंद से लेकर विधायक तक अपनी सैलरी बढ़ाने के लिए जिरह कर रहे हैं उसी देश में ऐसे नेता भी हुए हैं जिनकी इमानदारी के किस्से इतिहास में दर्ज है. हम बात कर रहे हैं देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की, लाल बहादुर शास्त्री देश के अकेले ऐसे प्रधानमंत्री रहे, जिन्हें कभी सरकारी आवास नहीं मिला. छोटे से घर को ही उन्होंने अपनी राजनीति का केन्द्र बनाया. तमाम नेताओं ने शास्त्री जी को सरकारी आवास दिलवाने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने खुद कोशिश नहीं की.
नहीं चुका पाए थे कार की किस्त
उन्होंने 1965 में अपनी फीएट कार खरीदने के लिए पंजाब नेशनल बैंक से पांच हजार ऋण लिया था. मगर ऋण की एक किश्त भी नहीं चुका पाए. 1966 में देहांत हो जाने पर बैंक ने नोटिस भेजा तो उनकी पत्नी ने अपनी पेंशन के पैसे से कार के लिए लिया गया ऋण चुकाने का वायदा किया और फिर धीरे धीरे बैंक के पैसे अदा किए. शास्त्री जी की यह कार आज भी जनपथ स्थित उनकी कोठी जो अब संग्रहालय है में आज भी मौजूद है
जब नेहरू जी ने दिया शास्त्री जी को अपना कोर्ट
यह बात 1962 के करीब की है. उस समय देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू थे. उन्हें पार्टी के किसी महत्वपूर्ण काम से कश्मीर जाना था. पंडित नेहरू जी ने शास्त्री जी जाने के लिए कहा तो वह लगातार मना कर रहे थे। पंडित नेहरू भी चकरा गए कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं. बाद में उन्होंने वहां नहीं जाने के बारे में कारण पूछ ही लिया. पहले तो वह बताने को राजी नहीं हुए, मगर बहुत कहने पर उन्होंने जो कुछ कहा उसे सुनकर पंडित नेहरू की भी आंखों में आंसू आ गए. शास्त्री जी ने बताया कि कश्मीर में ठंड बहुत पड़ रही है और मेरे पास गर्म कोट नहीं है. पंडित नेहरू ने उसी समय अपना कोट उन्हें दे दिया और यह बात किसी को नहीं बताई.
जब शास्त्री जी ने रेल मंत्री पद से दिया इस्तीफा
रेल मंत्री रहने के दौरान भी वह हमेशा सामान्य यात्री की तरह सफर करते रहे. उनकी ईमानदारी और सहजता मिसाल देखिए. 1956 में महबूबनगर रेल हादसे में 112 लोगों की मौत ने उन्हें झिंझोड़ दिया. उन्होंने इस्तीफा दे दिया, जिसे नेहरू ने स्वीकार नहीं किया. तीन महीने बाद ही अरियालूर रेल दुर्घटना हुई, जिसमें 114 लोग मारे गए। उन्होंने फिर इस्तीफा दिया और नेहरू से उसे स्वीकारने की इल्तिजा की। नेहरू ने इस्तीफा स्वीकारते हुए संसद में कहा कि वह इस्तीफा इसलिए स्वीकार कर रहे हैं कि यह एक नजीर बने. इसलिए नहीं कि हादसे के लिए किसी भी रूप में लालबहादुर शास्त्री जिम्मेदार हैं.
शास्त्री जी की अन्य उपलब्धियां
उनके परिवहन मंत्री रहते हुए देश में पहली बार महिला कंडक्टरों की नियुक्ति हुई. जब उन्होंने पुलिस मंत्रालय संभाला तो भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठियों के इस्तेमाल की बजाए पानी की बौछार का इस्तेमाल करने को कहा. जब उन्हें गृह मंत्रालय का दायित्व दिया गया तो उन्होंने भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए के. संथानम की अध्यक्षता में समिति बनाकर इस दिशा में महत्वपूर्ण पहल की। उनके प्रधानमंत्री रहते हुए भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना लाहौर तक पहुंचने में सफल हो गई थी. उनकी पहल ने हरित क्रांति और श्वेत क्रांति की नींव रखी.