तारकेश कुमार ओझा
अरे साल का अंतराल और
पर्दे पर सिर्फ बीस मिनट। भारतीय क्रिकेट टीम के सफलतम और सबसे ज्यादा सम्मानित
कप्तान महेन्द्र सिंह धौनी पर रिलीज हुई फिल्म एमएस. धौनी अनटोल्ड स्टोरी को देख कर धौनी की कर्मनगरी
यानी पश्चिम बंगाल के खड़गपुर के आम दर्शकों की यही प्रतिक्रिया रही। बताते चलें
कि धौनी ने 2001 से 2004 तक खड़गपुर में रह कर ही रेलवे में टिकट कलेक्टर की नौकरी
करते हुए भारतीय क्रिकेट टीम में चुने जाने को लेकर संघर्ष करते रहे। बड़े खिलाड़ी
होने के बावजूद क्लब क्रिकेट में भी वे लगातार सक्रिय रहे। स्थानीय दुर्गा
स्पोर्टिंग क्लब की ओर से उन्हें गांव – गांव में अनेक मैच खेल े और कई कप जीते।
2004 में टीम में चुने जाने के बाद धौनी ने जो शहर छोड़ा तो फिर कभी पलट कर नहीं
देखा। हालांकि उन्हें जानने और चाहने वालों की यहां लंबी फौज है। विगत शुक्रवार को
स्थानीय सिनेप्लेक्स में जब फिल्म रिलीज हुई तो इसे देखने के लिए अपार भीड़ उमड़ी।
बहुत पहले ही फिल्म की सारी टिकटें आन लाइन बुक हो चुकी थी। दर्शकों में बड़ी
संख्या उन लोगों की भी रही जो धौनी के शहर में रहने के दौरान किसी न किसी रूप में
उनके साथ जुड़े थे। इनमें रेलवे कर्मचारी शामिल हैं तो क्रिकेट खिलाड़ी भी। लोग उन
दृश्यों को जो धौनी ने कुछ साल पहले इस शहर में बिताए उन्हें प र्दे पर देखने को
उतावले थे। हालांकि फिल्म देखने के बाद दर्शकों को कुछ निराशा हुई। क्योंकि फिल्म
में खड़गपुर में धौनी के बिताए पलों को महज 20 मिनट में सीमित कर दिया गया है।
फिल्म की अवधि को देखते हुए यह स्वाभाविक भी कही जा सकती है। लेकिन शायद दर्शकों
को इससे कुछ ज्यादा की उम्मीद थी। यद्यपि ज्यादातर लोग इस बात से खुश दिखे कि किसी
फिल्म में उनके शहर का उल् लेख और दृश्य है। दर्शकों ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि
फिल्म में उनके शहर पर अच्छा – खासा फोकस किया जाएगा। क्योंकि धौनी ने अपने करियर
की शुरूआत यहीं से की थी। यहीं रेलवे की नौकरी करते हुए वे सफलता के आकाश में
उड़ने योग्य बन सके। हालांकि फिल्म में अपेक्षा से कुछ कम शहर को दिखाया गया। फिल्म
की कुछ गलतियां भी दर्शकों को खटकी। मसलन फिल्म में तत्कालीन टिकट कलेक्टर के तौर
पर महेन्द्र सिंह धौनी को खड़गपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या 8 पर बैठे
दिखाया गया। लेकिन 2004 में जब धौनी ने रेलवे की नौकरी के साथ यह शहर छोड़ा तब इस
प्लेटफार्म का अस्तित्व नहीं था। तब स्टेशन में केवल छह ही प्लेटफार्म थे।
प्लेटफार्म संख्या सात और आठ कुछ साल पहले बन कर तैयार हुआ। हालांकि फिल्म में
धौनी के शहर में रहने के दौरान के ज्यादातर दृश्यों ने स्थानीय दर्शकों को
रोमांचित कर दिया। फिल्म देखने के दौरान
दर्शक धौनी – धौनी का इसी प्रकार नारा लगा रहे हैं जैसा जब वे इस शहर में रहते थे,
तब क्लब क्रिकेट के लिए उनके बल्लेबाजी के लिए उतरने के दौरान लगता था।