नई दिल्ली : यूपी में विकास को लेकर जनता से वोट मांगने निकले सीएम अखिलेश साहब जरा सूबे की राजधानी लखनऊ में फैले प्रदूषण से तो जनता को निजात दिला दीजिये. अगर ऐसा आप नहीं करेंगे तो आपके राज्य की जनता बुरी बिमारियों की चपेट में आ जाएगी. स्कूल पढ़ने जाने वाले बच्चों के फेफड़े बाल्यावस्था में ही बेकार हो जायेंगे.
बच्चे देश का भविष्य हैं साहब
अरे सुनिये सीएम साहब आपको तो मालूम ही है कि बच्चे देश का भविष्य हैं. बड़े होकर ये बच्चे अपने राज्य का ही नहीं बल्कि देश का नेतृत्व भी करेंगे. अगर इनका ही भविष्य असुरक्षित हो गया तो राज्य और देश का भविष्य कौन संवारेगा. यही नहीं सीएम साहब आपने अपने प्रदेश में तो विकास कि गंगा बहाई है, लेकिन इसकी साज सज्जा का भी अब इंतजाम कर ही दीजिये. सूबे की जनता को आप पर भरोषा ही नहीं बल्कि विश्वाश है कि आप चाहेंगे तो शहर के स्कूल - कालेजों के आगे बने कूड़ा घर को वहां से इन बच्चों के खातिर हटवा देंगे.
कूड़ा उठाने के लिए सफाईकर्मी चाहिए
गौरतलब है कि आप तो विकास के मुद्दे को लेकर जनता के बीच दुबारा से अपनी सरकार बनाने को लेकर वोट मांगने जा रहे हो. लेकिन जनता जहां रह रही है. उन कालोनियों और मोहल्लों में तो नगर निगम के सफाई कर्मचारी ही तैनात नहीं हैं. सफाई व्यवस्था का जिम्मा प्राइवेट हाथों में है. जनता के पैसे देने के बावजूद यह सफाई वाले अपनी मनमानी करते हैं. जनता भी इनसे त्रस्त है, लेकिन वह इनसे कुछ कहने से इसलिए डरते हैं कि ज्यादा कुछ बोलेंगे तो वह उनके घर के आगे का कूड़ा ही उठाना कहीं न बंद कर दें.
आपके राज्य में प्रदूषण से जनता परेशान
क्लाइमेट एक्सपर्ट की मानें तो लखनऊ देश का सबसे दूषित शहर बन गया है. बताया जाता है कि प्रदूषण के कारण यहां की हवाओं के तेज झोंको के न चलने से शहर में स्मॉग बढ़ रहा है. शुक्रवार को 0 .29 अधिकतम हवा राजधानी में रिकार्ड की गयी. सेन्ट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यू आई ) में लखनऊ को गया के साथ पहले नम्बर पर रखा गया है और गाड़ियों के धुंए से होने वाले PM ( प्रति बुलेटिन ) 2 .5 को हवा दूषित करने का सबसे बड़ा कारण माना है. हालांकि 8 नवंबर ये कुछ कम हुआ है, लेकिन फिर भी शहर के एक्यू लेबल मामले में गया और लखनऊ 414 सिटी देश में नंबर वन के स्थान पर है. जबकि कानपूर 369 , पटना 368 और फरीदाबाद शहर का एक्यू लेबल लेकर देश में पांचवे स्थान पर है.