लखनऊ : अखिलेश सरकार के चलते बलात्कार के आरोपो से अपने को बचाते रहे तथा अमेठी से अपना चुनाव संपन्न कराने के बाद समाजवादी पार्टी के चहेते मंत्री, गिरफ्तारी के डर से फरार हो गये है। प्रजापति की फरारी अखिलेश सरकार के लिए बड़ा सरदर्द साबित हो रही है। गौरतलब है कि बलात्कार की शिकार महिला की सत्ता की दबिश में पुलिस द्वारा रिपोर्ट न लिखे जाने पर महिला द्वारा सर्वोच्च न्यायलय के समक्ष याचिका दायर की गई थी।
सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेशों के विरुद्ध इस मामले में जरा भी सतर्कता नहीं बर्ती गई और सपा के टिकट पर अमेठी से स्वतंत्रता पूर्वक चुनाव लड़ने का मौका गायत्री प्रजापति को दिया गया। चुनाव बाद पुलिस की सक्रियता जबतक बढ़ती उससे पहले छः अन्य आरोपियों सहित गायत्री प्रजापति अपने सभी आवासों को छोड़कर कही ऐसी जगह छुप गये जिसकी खबर स्वंम उनकी सुरक्षा में लगे सुरक्षा कर्मियों को भी नहीं है।
बलात्कार का आरोप लगाने वाली चित्रकूट ली महिला को लखनऊ लेकर इसके बयान दर्ज कर्स लियें गये है। महिला की बेटी का ब्यान लेने FIR की विवेचना कर रही सी ओ आलमबाग अमित सिंह दिल्ली गई हुई है। पीड़िता का आरोप है कि मंत्री की सुरक्ष में चूंकि यूपी पुलिस ही लगी है इस कारण उसकी गिरफ्तारी नहीं हो रही है। पीड़िता के आरोप पर प्रजापति से सुरक्षा हटाने पर भी विचार किया जा रहा है
समाजवादी पार्टी का नारा 'काम बोलता है' बिलकुल सार्थक होता दिखाई दे रहा है। ऐसा काम जो कानून और सर्वोच्च न्यायालय की आदेशों की धज्जियां उड़ा दे वह सपा सरकार में ही संभव होता दिखाई देता है। बलात्कार के आरोपो को झूठा बताकर उसकी जाँच कराने की चुनौती देने वाले गायत्री प्रजापति पहले तो अपने रसूख के चलते चुनाव तक पुलिस जांच को रुकवाए रहे पर जैसे ही पुलिस जाँच शुरू हुई,तुरंत फरार हो गये।
पुलिस ने उनके सभी आवासों पर दबिश दी पर वे कही नहीं मिले। पुलिस को उनके आवास पर पीड़िता के आने एवं उसके साथ सामूहिक बलात्कार के सबूत भी मिले है।पीड़िता और प्रजापति के बीच मोबाइल पर हुई बातचीत की रिकार्डिंग भी खगाली जा रही है।
पीड़िता के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अब छुपा पाना संभव नहीं है और उन्हें जेल जाने से रोका भी नहीं जा सकता,यह जानने के बाद गायत्री प्रजापति के चुनाव प्रचार से अपने चुनावी दौरों की शुरुवात करने वाले सपा अध्यक्ष और प्रदेश के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव भी शेष बचे दो चरणों के चुनाव में पार्टी की साख बचाने हेतु मामले से अनभिज्ञता ही दिखा रहे है।
गायत्री प्रजापति और पीड़िता के बीच फोन, चैटिंग तस्थ व्हाट्सएप्प पर दो तीन दिन बात होने के प्रमाण मिले है।प्रजापति के करीबियों का आरोप है कि इन दोनों की मुलाकाते अवश्य होती थी पर बलात्कार जैसी कोई नाता नहीं हुई।आरोप है कि विरोधियो द्वारा उन्हें बदनाम करने के लिए पीड़िता का सहारा लिया गया है।
समाचार पत्रों एवं मीडिया के माध्यम से प्रचारित और प्रसारित इस समाचार से छठे एवं सातवे चरण के चुनावो का प्रभावित होना निश्चित है। पारिवारिक कलह और कांग्रेस गठबंधन के बाद यह तीसरा ऐसा मुख्य कारण साबित होगा जिससे अखिलेश की कुर्सी खिसकते दिखेगी ।