क्या लाया था साथ में , क्या तू लेकर जाय ।
देह तलक संग ना चले, फिर क्यों रहा ठगाय ।।
धन दौलत हीरे मोती , कुछ भी साथ ना जाय ।
ताकत, सुंदरता सभी कुछ, यहीं धरी रह जाय ।।
झूठे नाते रिश्ते हैं , सब मतलब के यार ।
स्वारथ है तो अपने हैं, वरना सब बेकार ।।
प्रेम कभी मरता नहीं , सच्ची बात ये जान ।
प्रेम में ही ईश्वर बसें, बात "हरि" की मान ।।
झूठा जग झूठा चलन, झूठा सब व्यापार ।
झूठे वादे झूठी कसम, झूठा प्यार दुलार ।।
दो दिन की है जिंदगी, कह गये ज्ञानी लोग ।
किसपे गुमां इतना करे, काहे लगाये रोग ।।
दिल से दिल जब मिल गये, स्वर्ग सों आनंद आय ।
प्रेमी में दीखै खुदा , प्रेम में दुनिया समाय ।।
हरिशंकर गोयल "हरि"
23.3.22