नई दिल्लीः आम आदमी पार्टी में संदीप कुमार के बाद एक और अय्य़ास नेता बेनकाब हुआ हैं। पंजाब में फूटे आडियो बम ने सियासत गरमा दी है। आडियो में एक महिला ने पंजाब के संगरूर पर्यवेक्षक विजय चौहान पर यौन शोषण व दुष्कर्म का आरोप लगाया है। खास बात है कि मामले के तार केजरीवाल व संजय सिंह से भी जुड़ गए हैं। वजह कि पीडि़ता व उसके पति ने आठ महीने इनसे शिकायत की, मगर उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। यह आडियो टेप आम आदमी पार्टी पंजाब के रविंदर ढिल्लो और मक्खन नमोल ने चंडीगढ़ में जारी किए। विजय चौहान को केजरीवाल ने दिल्ली से संगरूर का आब्जर्वर बनाकर भेजा था। अब यौन शोषण में फंसने के बाद से विधायक सहरावत और पूर्व संयोजक सुच्चा सिंह की बात को आधार मिल रहा है। जिसमें उन्होंने दिल्ली से पंजाब गए तमाम नेताओं को महिलाओं के शोषण में लिप्त बताया था।
दफ्तर में काम करने वाली लड़की को बनाया शिकार
ऑडियो टेप से खुलासा हुआ है कि विजय चौहान ने धूरी के पार्टी ऑफिस में काम करने वाली महिला का यौन शोषण किया। यही नहीं कई बार जबरन शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की। छेड़छाड़ तो मानो विजय चौहान के लिए आम बात हो गई थी।
स्वाति मालीवाल ने पीड़िता को उल्टे लगाई फटकार
मुख्यमंत्री व पार्टी मुखिया केजरीवाल ने शिकायत पर सीधे कोई कार्रवाई करने के बजाए मामले का सरकारीकरण कर दिया। उन्होंने औपचारिकता पूरी करते हुए शिकायत दिल्ली महिला आयोग को भेज दी। ऑडियो की बातचीत के मुताबिक अध्यक्ष स्वाति मालीवाल पीड़िता से ठीक से पेश आने के बजाए उल्टे हड़का रहीं। यही नहीं जब पीड़िता ने शिकायत सीनियर वॉलंटियर राजवंत सिंह से की तो उन्होंने एक लाख रुपये मुआवजा देकर शांत रहने को कहा।
पति को काम से बाहर भेजकर पत्नी से रेप की कोशिश
पीड़िता के पति ने केजरीवाल को भेजी शिकायत में विजय चौहान पर कई संगीन आरोप लगाए। कहा कि वह अक्सर पत्नी से छेड़छाड़ करता था। यही नहीं मुझे काम से बाहर भेजकर पत्नी से दुष्कर्म की कोशिश कर चुका है। कई बार शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिससे तंग आकर उसने फरवरी 2013 में पार्टी दफ्तर का काम छोड़ दिया। जबकि एक साल पहले अगस्त 2015 में वह पत्नी के साथ दफ्तर पर काम करने पहुंचा था।
कथित ऑडियो टेप की बातचीत का विवरण सुनिए
राजवंत सिंह:तुसीं एहनीं लिखके दित्ता कि चौहान मेरे नाल जबरदस्ती करदा सी (ये लिखकर क्यूं देकर आई हो कि चौहान मेरे साथ जबरदस्ती करता था) ?
महिला:मैं तां किसे नू लिख के नीं दिता (मैंने तो ये किसी को नहीं लिख कर दिया)।
राजवंत सिंह: आह की कर रहे हों तुसीं, मेरी ऐही बदनामी करवाणी सी? (ये क्या कर के गई हो तुम, मेरी यही बदनामी करवानी थी?)
महिला:मैं की बदनामी करवाई है (मैंने क्या बदनामी करवाई है)?
राजवंत सिंह :तुसीं ऐथे लिख के दो, कि तुसीं किसी नूं भी लिख के शिकायत नहीं करोगे? मैं तैनूं ऐथे भेजण वाले गुरमीत नू वी जूतियां मारदा हां कि ओहने तैनूं मेरी बदनामी करवाण लई भेजेया सी (तुम ऐसा लिख के दे दो कि तुम किसी को भी लिखकर इस बारे में शिकायत नहीं करोगी। मैं तुम्हें यहां भेजने वाले गुरमीत को भी जूतियां मारता हूं कि क्या उसने तुम्हे यहां पर मेरी बदनामी करवाने के लिए भेजा था)।
महिला:मेरा घर वाला तां कुछ नहीं बोलेया, पर तुसीं दस्सो कि हर किसे दी इज्जत नहीं हूंदी। चौहान ने मेरे नाल गलत नहीं कीता? मैं वी तुहाडी बेटी बहुआं वरगी हां। तुसीं तां मैनू ही गलत कही जा रहे हो (मेरा घर वाला तो कुछ भी नहीं बोला इस बारे में, लेकिन आप खुद बताओ कि हर किसी की इज्जत होती है। आप खुद बताओ कि क्या चौहान ने मेरे साथ कुछ गलत नहीं किया क्या? मैं भी आपकी बेटी-बहुओं जैसी हूं। मुझे आपने गलत कह दिया)।
राजवंत :तुहानूं गए नूं ऐथों छह महीने हो गए, की हुण चौहान तुहाडे कोल आंदा है (तुमको 6 महीने यहां से गए हुए हो गए, क्या चौहान अब आता है तुम्हारे पास वहां)?
महिला:साडे कोल चौहान नहीं आंदा, पर चौहान दी गलती भी तां छोटी नहीं (हमारे पास चौहान नहीं आता, लेकिन चौहान ने गलती भी तो छोटी नहीं की है)।
राजवंत :मैं तुआडा टाइम इथे चंगा कटवाता, ते हुण मैंनूं ही पार्टी तों जुतियां पै रहियां ने...(मैंने आपका टाइम यहां अच्छा बितवाया और अब मुझे पार्टी से ही जूतियां पड़ रही हैं)
महिला:देखो जी, जूतियां तां साडे वी पै रहीयां ने, पर सवाल ऐह है कि तुसीं चौहान दे खिलाफ कुछ नहीं कीता (देखो जी, जूतियां तो हमे भी पड़ रही हैं, लेकिन सवाल ये है कि आपने चौहान के खिलाफ कुछ क्यों नहीं किया)?
राजवंत :तुसीं जो करना है करो, पार्टी वाले मैंनूं कह रहे ने कि तेरे कहण ते एहनां नू रहन दी, खाण दी जगह दिती। हुण एही लोग पार्टी दी बदनामी कर रहे ने (तुमको जो करना है करो, आप जो पार्टी से पंगे ले रहे हो ना। लोग मुझे कह रहे हैं कि तेरे कहने पर इन लोगों को रहने और खाने की जगह दी और अब यही लोग पार्टी की बदनामी कर रहे हैं)।
महिला :तुसीं मेरी गल सुणो, जे मैं थाने जाकर चौहान दे खिलाफ शिकायत दिंदी तां ओहदी घरवाली नू ओहदे परिवार ने इस बारे पता नहीं चलदा ? उसदे घर क्लेश न मचदा, कुछ ऐदां दा ही क्लेश मेरे घर मचेया होएया है। तुहानूं तां सिर्फ आपणी टिकट नाल मतलब है। तुंसीं इकट टिकट खातर एक कुड़ी दी इज्जत खराब कर रहे हो न, एह चंगी गल नहीं। जे तुहाडी बहू बेटी नाल अजेहा हुंदां तांवी ऐदां ही करदे। मेरी इज्जत खराब करन नाल की तुहानूं टिकट मिल जाएगी (आप मेरी बात सुनो, अगर मैं थाने जाकर चौहान के खिलाफ शिकायत देती हूं तो उसकी पत्नी और परिवार को इस बारे में पता नहीं लगेगा क्या, उनके घर क्लेश नहीं मचेगा, कुछ ऐसा ही क्लेश मेरे घर में भी मचा है। आपको तो सिर्फ अपनी टिकट से मतलब है आप एक टिकट के लिए एक लड़की की इज्जत खराब कर रहे हो ना, ये अच्छी बात नहीं है। अपनी बहू-बेटी के साथ होता तो क्या आप ऐसा करते। मेरी इज्जत खराब करने से क्या आपको टिकट मिल जाएगी)?
राजवंत :हुण इस च टिकट दी गल्ल किथों आ गई (टिकट की क्या बात आ गई इसमें)?