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इब्नबतूता मन~

21 सितम्बर 2022

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काव्या सोनी

काव्या सोनी

Bilkul theek kaha aapne man aisa hi hota bilkul waisa hi jaisa aapne likha chmakile sitare ke jaisa jiski chamak apni or khichti hai chamak tak tak ka safar pathrila bahut khub kam alfazon me gahri bat likhi aapne

21 सितम्बर 2022

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

21 सितम्बर 2022

और आपने वक़्त देकर उस गहरे अर्थो को मापा इसके लिए आपका दिली शुक्रिया काव्या जी । 💐💐😊

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रचनाएँ
कहना है तुमसे ~
5.0
ये किताब उस कहन का अभिलेखीय संग्रह है जिसे अक्सर हम किसी खास से रूबरू होकर कह नहीं पाये होते हैं । इस किताब के हर अध्याय में कुछ ऐसा है जो आपको ये एहसास कराएगा कि बिल्कुल यही सब तो कहना था । तो आइए इस सफर में तरोताज़ा कीजिये उन मखमली सुनहरी यादों को ,जिन्हें अल्फाज़ो में भरने की भरसक कोशिश इस क़िताब में की गयी है ।
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बस बतला रहा हूँ तुम्हें~

27 अगस्त 2022
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इन दिनों गुमसुम सी है कुछ चहचहाटें , बेरंग सी लगती है ये धूप जिनमें कभी इंद्रधनुष के सातों रंग नृत्यरत हो उठते थे । दिन का दोलन जो दरियाई फितरत रखता था पहाड़ सा सध गया हो जैसे । कुछ आवाज़ें जिनमें जीवन

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एक जरुरी बात~

27 अगस्त 2022
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एक जरूरी बात अक्सर कहनी होती है तुमसे जो अनकही रह जाती है ।इस दुनियावी बियावान में अक्सर बहुत कुछ अधूरा ऐसा रह जाता है जिसका कोई सिरा पूरा नही पड़ता कहने के क्रम में ,तुम जो कह

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वो शून्य जो भरा नहीं गया~

27 अगस्त 2022
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‌वो शून्य फिर से भरा नही गया , जो रिक्त हो गया तुम्हारे जाने के बाद । लाख जतन अनगिनत मनुहार ,समझौते सब करके देख लिए , पर उस क्षुधा की तृप्ति संभव ना हो सकी । शायद होगी भी

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तब और अब~

27 अगस्त 2022
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अक्सर थका हारा जब भी बैठता हूँ अपने संग की गुफ्तगू में तोतुम्हारा वो हल्की उलझनों से लबरेज से चेहरा जेहन में कौंध ही उठता है । उन दिनों अक्सर तुम्हारे वजूद के

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एक तुम्हारा होना क्या से क्या कर जाता है~

19 सितम्बर 2022
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एक तुम्हारा होना~तुमसे कही बातों का कोई अंत क्यो नही मिलता । हर बार कहकर सोचता हूँ अब आखिरी बात तो कह डाली मैंने , पर देखो न अंतिम दफा की कहन अपनी मेढ़ को तोड़कर बह चुकी है किसी ओर , और अब मैं इसे शब्द

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इब्नबतूता मन~

21 सितम्बर 2022
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कुछ उलझने मुख़्तलिफ़ सी होती है । वैसे तो हर उलझन खुद में मुख़्तलिफ़ ही होती है पर कुछ पशोपेश ए हालात भी उस कलंकित भोर के तारे की तरह होते हैं , जिसे देखना कलंक का एक प्रतिमान माना जाता है तो बिना उसे देख

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चलते चलते यूं ही~

21 सितम्बर 2022
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सब कुछ ठीक ही तो चल रहा था आज भी , मौसम का मिज़ाज़ कमाल था , हवाएं लयबद्ध होकर बह रही थी , आसमान बिल्कुल साफ नीलिमा लिए हुए पसरा हुआ था , धरती मानो स्वयं को अर्पित करने को तत्पर थी , एक सोंधी सुगंध पूरे

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मुस्कुरा भी दीजिये~

21 सितम्बर 2022
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एक अदद मुस्कान है ईश्वरीय वरदान । एक जादुई मुस्कान चेहरे पर चंद मांस पेशियों की वर्जिश से पोशीदां हो उठती है , और सामने वाले की सुंदरता में चार चांद लगा देती है। आंखों का जीवंत संकुचन लहू की च

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प्रेम को सप्रेम~

22 सितम्बर 2022
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जब आप प्रेम में होते हैं, तो प्रकृति के सबसे नजदीक होते हैं, ठंडी हवायें कुछ ज्यादा शिद्दत से महसूस होती है । सूरज की तपती रौशनी चाँदनी सरीखा एहसास दिलाती हैं, सुबह पक्षियों का कलरव आपकी प्रेम गाथा का

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तुम्हारी उपमा~

22 सितम्बर 2022
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सब उपमाएं बेबस सी बहुत लाचार हो उठती हैं , उनसे जब तुम्हारे लिए कोई उम्दा सा संबोधन मांगता हूं । वो ठहर जाती हैं, चाँद हो सितारे कि कली या फूल, हो कि गुलाब ,चंपा या चमेली , काली घटाएं हो या बहती नदी,

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ये भी कहना था के~

22 सितम्बर 2022
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कोई आकर गुजरा है ,बिल्कुल अलहदा सा , अल्हड़ सी बातें अल्हड़ ही अंदाज़पर्वतों पर दूर गूंजती किसी मंदिर के आरती जैसी आभा उसकी । ज़ज़्बात उछल से पड़े ,कहीं से हवा सरसरा उठी,कही ब

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तुमसे मिलने की कोशिश में~

4 अक्टूबर 2022
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उम्मीदों का फटा पैरहन ,,बार बार सिलना पड़ता है ,, तुमसे मिलने की कोशिश में ,,किस किस से मिलना पड़ता है ~

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