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बचपन का प्रेम

20 फरवरी 2022

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प्रेम.... प्रेम प्रसाद...........प्रेम प्रसाद शुक्ला.

जी हाँ ......मेरा नाम प्रेम प्रसाद शुक्ला है . मै एक साधारण कृषक पृष्ठभूमि ताल्लुकात रखता हूँ . ये बात उन दिनों की है जब सन 1999 में मै पांचवीं कक्षा का छात्र था. गांव के बीचोबीच एक पक्की सड़क है जो हमारे गांव को दो भागों में विभाजित करती है . सड़क के उस पार एक प्राथमिक विद्यालय था जिसमे मैं पढाई करता था . हमारे ज़माने में अच्छी शिक्षा पाने के लिए बोर्डिंग स्कूल ही एक माध्यम था.उनमे से एक है जवाहर नवोदय विद्यालय जो हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गाँधी जी की दूरदृष्टि का जीता जागता मिशाल है. हमारे दिल में भी तम्मना थी कि हमारा भी नवोदय विद्यालय में नामांकन हो . फॉर्म भरना हो गया था. कुछ महीनों बाद चयन परीक्षा के लिए अचानक एडमिट कार्ड आ गया तो पता चला कि 14 फरवरी को एग्जाम डेट है और आज 13 फरवरी है . चयन परीक्षा चाईबासा के टाटा कॉलेज में होना था . उस ज़माने में यातायात के साधन कम होने के कारण एक ही दिन में परीक्षा केंद्र पहुंचना असंभव लग रहा था . मेरे चाचाजी ने मन में गांठ बांध लिया था कि हर हाल में भतीजे को यानि मुझे परीक्षा लिखने ले जाना है. 14 फ़रवरी को 9:30 am को हर हाल में टाटा कॉलेज चाईबासा पहुंचना था. 13 फरवरी को 3 बजे आसपास 407 गाड़ी से मैं और चाचाजी नजदीकी रेलवे स्टेशन सिनी के लिए रवाना हुए. गाड़ी के इंजन की आवाज और मेरे दिल की धड़कन की आवाज दोनों समान्तर जा रहे थे . हाफ पेंट हाफ शर्ट पहने चाचाजी के बगल में बैठे मैं अनजान ख्यालों के साथ सफर कर रहा था कभी खिड़की की तरफ तो कभी सहयात्री के तरफ देख रहा था. पहली बार दूर शहर जाना मुझे एक अजीब सी खुशी और एक अलग ही फीलिंग्स आ रहा था. हमलोग शाम को सिनी पहुंचे तो पता चला चाईबासा के लिए आज कोई ट्रैन यहाँ नहीं रुकेगी .तब चाचाजी ने कहीं से पता किये चाईबासा के लिए ट्रैन टाटानगर से मिलेगी . हमलोग कान्ड्रा होते हुए मिनीबस से आखिरकार जमशेदपुर के लिए रवाना चुके थे .बस में एक सहयात्री ने मुझसे पूछा "बऊवा कहाँ जा रहे हो ?" तो मैंने कहा चाईबासा .फिर उन्होंने कहा ये बस तो जमशेदपुर जा रही है.मैं थोड़ा सहम गया पर चाचाजी मोर्चा संभाले और बोले टाटा से चाईबासा के लिए ट्रैन पकड़ेंगे .कंडक्टर ने स्टेशन-स्टेशन की आवाज लगायी तब जाकर पता चला हमलोग टाटानगर रेलवे स्टेशन पहुँच चुके हैं।

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मानव प्रेम का बाजारीकरण के नए दृष्टिकोण पर आधारित उपन्यास.

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