नई दिल्ली : दिल्ली से निकलकर पंजाब, गोवा और अन्य राज्यों में चुनाव लड़ने के लिए उत्सुक दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में बिखर गई है। अब आम आदमी पार्टी के टिकट पर उत्तराखंड में चुनाव लड़ चुके उत्तराखंड के प्रसिद्ध जनकवि बल्ली सिंह चीमा में पार्टी को अलविदा कह दिया है। इससे पहले आम आदमी पार्टी की उत्तराखंड कार्यकारणी के अध्यक्ष अनूप नौटियाल सहित 50 लोगों ने पार्टी छोड़ी थी। अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने अपने फेसबुक पर एक वीडियो के जरिये पार्टी छोड़ने का कारण बताया था। उत्तराखण्ड में पार्टी से जुड़े नेताओं की शिकायत थी कि आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में चुनाव न लड़ने का फैसला करके एक मौका गँवा रही है।
उनका कहना है कि पार्टी संसाधनों की कमी का बहाना बना रही है। इससे पहले 'इंडिया संवाद' ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि उत्तराखंड में आमआदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने कई सभाएं की थी और उनकी सभाओं को अपार जनसमर्थन भी मिल रहा था। पार्टी से जुड़े लोग यहाँ खुद फंड भी इकट्ठा कर रहे थे। उत्तराखण्ड में पार्टी से जुड़े लोगों का कहना है कि शुरुआत में पार्टी ने यहाँ चुनाव लड़ने की बात कही थी लेकिन चुनाव लड़ने के फैसले पर केजरीवाल ने इनकार कर दिया। जबकि गोवा और पंजाब जैसे राज्यों में पार्टी चनाव लड़ रही है।
'ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गाँव के' जैसी कविता ओं की रचना करने वाले चीमा ने अपने पत्र में में भी एक कविता लिखी है। जिसमे उन्होंने कहा है कि जो पांच साल में निजाम बदलना चाहते थे उन्हें वह खुद सिस्टम में आकर बदल गए हैं। चीमा का साफ़ कहना है कि 'अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ईमानदार, सच्चे और अच्छे व्यक्ति होने के बावजूद पार्टी के भीतर आंतरिक लोकतन्त्र को ज़िंदा नहीं रखा सके।' चीमा ने लिखा अपने पत्र के अंत में लिखा।
इंडिया संवाद ने अपनी पिछली रिपोर्ट में लिखा था कि पार्टी उत्तराखंड में चुनाव लड़ने की पूरी प्लानिंग कर चुकी थी और 'आप' नेता संजय सिंह के एक नजदीकी व्यक्ति को उत्तराखंड प्रभारी भी बनाया गया था। पार्टी के सबसे अहम चेहरे कुमार विश्वास ने उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के रुद्रपुर में कई सभाएं कीं, जिनमें बड़ी संख्या में भीड़ भी जुटी और युवाओं का भी खासा रुझान दिखा। कुमार विश्वास उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के सीएम के भी प्रमुख दावेदार बताये जा रहे थे। वैसे उत्तराखंड में कुमार की पहचान अपने सम्मेलनों के कारण भी बेहद लोकप्रिय रही है।
उत्तराखंड की राजनीति में चल रही उठापटक के बीच यह भी माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी अगर इस वक़्त इस छोटे राज्य में चुनाव लड़ती है तो इसका बड़ा लाभ उसे मिल सकता थी लेकिन केजरीवाल इसके लिए तैयार नहीं थे। जानकारी के अनुसार जोरदार शुरुआत के बावजूद अचानक अरविन्द केजरीवाल ने उत्तराखंड में चुनाव लड़ने के फैसले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। केजरीवाल का कहना था कि अभी पार्टी को पूरा ध्यान पंजाब चुनावों पर फोकस करना चाहिए।