नई दिल्ली : देश में बैडमिंटन के द्रोणाच्रार्य माने जाने वाले पुलेला गोपीचंद रियो ओलंपिक 2016 में भी तुरुप का इक्का साबित हो रहे हैं.पीवी सिंद्धू के उपल्बधि के पीछे इस इंसान कि कड़ी मेहनत है . हैदराबाद के आईटी सेक्टर में अपना बैडमिंटन अकादमी चलाने वाले पुलेला सुबह 4:00 बजे उठ जाते है. आमतौर पर इनकी दिन कि शुरआत पीवी सिंद्धू और श्रीकांत जैसे सीनियर छात्रों के साथ होती है.
गोपीचंद की चीख सुनाई देती थी ...
दिन के अगले तीन घंटे बिल्कुल ही अंधेरे के सन्नाटे में पीवी सिंद्धू और श्रीकांत के सामने बस पुलेला गोपीचंद की गहरी आवाज की चीख सुनाई देती है “Higher, Higher, Higher!” वह सिंद्धू से कहते है तुम अपना घुटना मोड़ कर बैठो. ताकि सिंद्धू को लूट शॉट के दौरान चुनौती का सामना न करना पड़े . ताकि वह अपने हर शॅाट के बाद अपनी ताकत समझे और कमजोरी पर हंसे . वो बेफिक्र थी अल्हड़. बेपरवाह हो कर पीवी सिंद्धू प्रैक्टिस करती थी
अपनी काबिलियत को परखा
गोपीचंद ने सिंध्दू के बारे में बताया कि वह हर सुबह 50 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर से उनकी एकेडमी में आती रही है दिलचस्प बात यह है कि उन्हें कभी देर नहीं होती.करीब 3-4 साल पहले की बात होगी. सुबह सुबह तड़के यही कोई 6 बजे के आस पास का वक्त रहा होगा. एक पतली दुबली लंबी सी लड़की ने एकेडमी के बड़े से हॉल में ‘एंट्री’ की. अपनी ‘किट’ रखने के बाद दौड़कर कोर्ट के कुछ चक्कर लगाए. उसके बाद हाथ में रैकेट थामा और प्रैक्टिस शुरू कर दी. मेरी पीवी सिंद्धू से यह पहली मुलाकात थी.
देश को ऐसे कोच और खिलाड़ियों की कितनी जरूरत है
सायना नेहवाल अक्सर कहती रही है कि बैडमिंटन के खेल में चीन के खिलाड़ियो को हराना इसलिए मुश्किल होता है क्योंकि आम तौर पर दुनिया में टॉप के 5 खिलाड़ियों में से 4 खिलाड़ी अक्सर चीन के ही होते हैं. ऐसे में 'भीष्मपितामह' गोपीचंद ने वर्ल्ड लेवल खिलाडियो को तैयार किया. सायना ने कहा कि सिंधु के तौर पर देश को एक और ऐसा ही ‘वर्ल्ड लेवल’ खिलाड़ी मिला है. अफसोस, सायना रियो ओलंपिक से बाहर हो चुकी हैं, लेकिन उनकी ये सोच बिल्कुल सटीक है.