नई दिल्ली : समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से बुधवार को देश का अगला प्रधानमंत्री बनने का दावा ठोंक दिया है. मुलायम सिंह ने हालाँकि यह बात खुलेरूप में नहीं की है. लेकिन इशारों ही इशारों में बीजेपी की केंद्र सरकार पर हमला बोल कर उन्होंने इस बात के संकेत दे दिए हैं कि साल 2019 में बीजेपी की नहीं बल्कि उनकी पार्टी की सरकार बनेगी. जिसके चलते ही मुलायम ने बोफोर्स तोप मामले का राज जनता के सामने खोलकर खुद को दोषी बताया है.
मुलायम क्यों नहीं चूके पूर्व PM की तारीफ करने में ?
दरअसल मुलायम ने बुधवार को लखनऊ के डॉ लोहिया लॉ विश्वविद्यालय की दसवीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए तिब्बत के मुद्दे पर अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार को निशाने पर रखते हुए उन्होंने बोफोर्स घोटाले पर बयान देते हुए कहा कि जब केंद्र में यूनाइटेड फ्रंट की सरकार में वह रक्षा मंत्री थे तो उन्होंने ही बोफोर्स मामले की फाइलें दबा दी थीं. सार्वजनिक तौर पर मंच से मुलायम ने इस राज का खुलासा करते हुए कहा कि बोफोर्स तोप सही चल रही थीं और स्व राजीव गाँधी के काम को देखकर वह खुश भी थे. लेकिन उन्होंने इस बात को सार्वजनिक इसलिए नहीं किया क्योंकि वह यह नहीं चाहते थे कि कांग्रेस की प्रशंसा हो. इसलिए उन्होंने जान बूझकर बोफोर्स तोप की फाइलें भेजने में देर की.
मुलायम के बयान का मकसद क्या है ?
सूत्रों के मुताबिक सपा मुखिया 'नेताजी' मुलायम सिंह के इस बयान के पीछे भी गहरा राज छिपा हुआ बता रहे हैं. सूत्रों की मानें तो राजनीति की रणनीति बनाने में महारथ हासिल करने वाले मुलायम सिंह ने यह बयान देकर एक तीर से तीन निशाने लगा दिए हैं. इनमें से पहला तो ये कि मुलायम ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए उसको यह चेतावनी दे दी है कि यूपी में वह कुछ कर लें. उनकी सरकार यहाँ बनने वाली नहीं. सरकार सपा की ही यूपी में फिर से बनेगी. इतना ही नहीं अगली बार केंद्र में भी बीजेपी की सरकार नहीं बल्कि सपा की सरकार बनेगी. दूसरा अर्थ यह है कि उन्होंने अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने कि मंशा जताते हुए ही स्व राजीव गाँधी कि बोफोर्स तोप मामले में तारीफ इसलिए की है ताकि कांग्रेस और सपा के बीच चल रहा आपसी मनमुटाव दूर कर दोस्ती का हाथ बढ़ाया जा सके. इसी तरह इस बयान का तीसरा अर्थ यह है कि उन्होंने यह बात साफ कर दी है कि अगले लोकसभा चुनाव यानि साल 2019 में वह पीएम पद की दौड़ में शामिल होंगे.
मुलायम की मंशा क्या है ?
बताया जाता है कि मुलायम ने यह बयान देकर केंद्र की मोदी सरकार को राजनीति के अखाड़े में चारोँ खाने चित करने की ताल ठोंक दी है. पार्टी से जुड़े नेताओं की मानें तो मुलायम सिंह की निगाहें अगले लोकसभा चुनाव पर लगी हुईं हैं. इसीलिए वह अपनी पार्टी को अभी से मजबूत करने में लगे हुए हैं. इसी के चलते ही उन्होंने पार्टी में फिर से राजनीति के खेल में जोड़तोड़ के माहिर अपने पुराने मित्र अमर सिंह और बेनी प्रसाद वर्मा की वापसी करवाई है. दरअसल मुलायम यह बात जानते थे कि अगर उनकी पुराणी टीम एक बार फिर से एक साथ हो जाएगी. तो वह कांग्रेस से दोस्ती कर बीजेपी की सरकार को केंद्र से उखाड़ फेकेंगे. हालाँकि सालों से इस मौके की आस लगाए बैठे सपा मुखिया को बुधवार को यह मौका मिला तो वह राजनीति के अखाड़े में अपने एक तीर से तीन निशाने एक साथ लगाने से वह नहीं चूके.