टिपटिपाती है बारिस, मानों मेघों में हों छेंद।
गड़गड़ाती बिजलियाँ, ध्वनि बहुत है तेज़।
तीव्र कभी-कभी हौले, जो बड़ा लगाये जोर।
कभी इधर-कभी उधर, मानों लगी हो डोर।
मेघ वारि भरकर लाए, और दिया निचोड़।
और लाओ और लाओ, ऐसी लगी है होड़।।
-सर्वेश कुमार मारुत
5 मई 2021
टिपटिपाती है बारिस, मानों मेघों में हों छेंद।
गड़गड़ाती बिजलियाँ, ध्वनि बहुत है तेज़।
तीव्र कभी-कभी हौले, जो बड़ा लगाये जोर।
कभी इधर-कभी उधर, मानों लगी हो डोर।
मेघ वारि भरकर लाए, और दिया निचोड़।
और लाओ और लाओ, ऐसी लगी है होड़।।
-सर्वेश कुमार मारुत
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सर्वेश कुमार मारुत
उपनाम- मारुत
(कवि ,शायर व कहानीकार)
जन्मतिथि-15/07/1988
माता- श्रीमती माया देवी
पिता- श्री रामेश्वर दयाल
पता- राजीव नगर गुलाब बाड़ी नवादा शेखान
पोस्ट- श्यामगंज बरेली (उ० प्र ०)
पिन 243005
शिक्षा- बी० ए०, बी० एड०, एम० ए०( अर्थशास्त्र)
कवि व शायर
रचनाएँ- मैं पानी की बूँद हूँ छोटी, प्यारी कोयल, नारी, बादल काले, अब काँटा बन चुका शरीर आदि