अभी तक आप ने पढ़ा की रघु अपनी माँ से कॉलेज की बातें बता रहा है की कॉलेज में ट्रिप पे जाने वाली है। उसी में वो थोड़ा व्यस्त है साथ साथ पढ़ाई भी क्योंकि, एग्जाम भी होने वाला है।
चलिए अब आगे आगे देखते हैं की रघु और सिया में, दोस्ती भी होती है या दोनों बिना मिले ही एकदूजे से जुदा हो जायेंगे.....
अच्छा आप सब का क्या कहना है क्या लगता है रघु पहल करेगा सिया यानी अपनी जिसे वो, (नकचढ़ी )नाम दिया है उससे या ख्याली पुलाव ही पकाते रह जायेगा।
इन दोनों की जिंदगी की गाड़ी आगे भी बढ़ेगी। आज
कॉलेज जब रघु पंहुचता है तब सारे दोस्त उसे आज, पूछते हैं क्यों रघु आजकल कॉलेज तू लेट आता है तू ठीक ठाक है न कहीं किसी तितली के पीछे उड़ तो नही रहा है जैसे शान उड़ रहा है,पता है आज वो दिख नही रहा है तब रघु कहता है की आज तो अपनी सब की रिया का बर्थडे चलो मुबारक़ बाद देते हैं फिर, सब मिल कर रिया को जन्मदिन की बधाई देते हैं, फिर रिया सबको अपने घर आने बोलती तुम सब पक्का आओगे। न सब कहते तू बुलाएगी और हम सब न आएंगे ऐसा हो नही सकता है। सब मिल कर फिर सब अपने क्लास चले जाते हैं, जब क्लास खत्म होता है और सब घर जा रहे हैं तभी शान दौड़ते हुए रघु और सारे दोस्तों को पूछता है यार रिया मिली है मैं तो उसे ढूंढ ढूंढ कर थक गया हूँ।
पता नही कहाँ लापता हो गई है मुझे तो मिल नही रही, सब कहते अच्छा क्या हुआ आज तो उसका जन्मदिन है क्यों वे तेरा उसे झगड़ा हुआ क्या नही यार वो बात, बात पर रूठ जाती है क्या करुँ तभी रिया दिखाई देती है।तभी रघु उसे आवाज देता है इधर सुन तब वो कहती है क्या हुआ तब वो कहता क्यों आज अपने जन्मदिन दिन पर तू गुस्सा है शान से वो कहती नही बाबा मुझे किसी पर गुस्सा नही आता है अच्छा तब देखो कौन है। फिर शान को देखती और कहती ओय जल्दी आजा मेरे घर वो कहता है किस लिए तुझे भागने के लिए सबह हंसने लगते हैं रिया फिर गुस्से में कहती है तुझे छोड़ूंगी नही.... तभी अमन कहता है तुम्हारी प्यार की कहानी आगे और बढ़ते,
रहे यही दुआ है हमें घर भी जाना है सब हँसते फिर सब, एक दूसरे को जल्दी मिलते हैं रिया के घर पर कह कर एक दूसरे से विदा लेते हैं.........
इधर रघु सिया को बहुत याद कर रहा था वो आज, कॉलेज में भी नही दिखाई दी वो सोच रहा रिया के घर, जाऊं या नही मन नही कर रहा था वो तो सिया के ख्याल में खोया है।उसे तो उसके सिवा कुछ अच्छा भी नही लगता है।
क्या कहते हैं आप सब जब आप सब भी प्यार किये होंगे तो रघु जैसा कुछ कुछ जरूर होता होगा......
क्या हमने कुछ गलत कह दिया अच्छा कोई बात नही,
आप सब गुस्सा मत होना.........
रघु सोच रहा है क्या करुँ फिर सोचता हमारी वजह से, सब को अच्छा नही लगेगा सब दस सवाल करेंगे उससे, अच्छा चला ही जाता हूँ फिर वो तैयार हो कर वो चल, देता है।
लेकिन पता है वंहाँ क्या होगा ये तो खुदा ही जाने रघु के
साथ।
हाहाहा मुझे तो लग रहा है रघु की जिंदगी एक नए मोड़
से गुजरेगी जिसका इंतजार रघु को भी है हम सबको भी
देखते हैं........
अरे आप सब कहाँ चले गए........
इधर जब सब लोग रघु रिया के घर जब पंहुचाते हैं तब, सारे लोग वंहाँ पर उसके देख कर सब कहते हैं ओय...
कहाँ रह गया था इतना लेट.....
रघु कहता नही वे कुछ नही आ ही रहा था।
तभी रिया आती है सब के गले मिलती है बहुत खुश लग रही है खुश लगेगी क्यों नही आज जन्मदिन जो था। और उसके सारे दोस्त उसके साथ थे......
तभी रिया सिया को लेकर सब के पास आती है और मिलवाती है सब उसे हेलो कहते......
और रघु तो उसे आखें फार फार के देख रहा वो दोनों, एक दूसरे को देख कर कहते हैं तुम यंहाँ वो कहती तुम, यंहाँ सब उनलोगों को देखते रह जाते हैं। रिया शान अमन सब पूंछते हैं तुम एक दूसरे को जानते हो वो, कैसे.....
तब वो दोनों हँस पड़ते हैं रिया कहती अरे बाबा...
बता दो न तब दोनों बोलते हैं बहुत लम्बी कहानी है बाद, में बतऊँगा पहले पार्टी एन्जॉय करते हैं।
इधर रघु रिया से चुपके से बुला कर पूछता है तू इस, नकचढ़ी (सिया )को कैसे जानती हो तब वो कहती है। हमारी दोस्त है और कैसे लेकिन तू उसे नकचढ़ी क्यों? बोला तब वो कहता है वो है ही वैसी जैसा नाम है.....
रिया हंसने लगती है,फिर खुद ही सोचती है की रघु सिया को नकचढ़ी क्यों बोल रहा है फिर वो अपने आप, से कहती है पहले पार्टी एन्जॉय करते हैं फिर इनका क्लास लगाऊंगी,फिर रघु को वही छोड़ कर सब के पास चली जाती है।
इधर रघु की मन की मुराद पूरी हो गयी क्यों की आज, वो बस सिया को देख रहा है छुप छुप कर सिया बहुत खूबसूरत लग रही है।येलो कलर की ड्रेस में बाल खुले खुले प्यारी सी मुस्कान के साथ सच्ची में बहुत ही सुन्दर लग रही थी मन कर रहा था बस उसे देखते रहने का,
रघु को तो सारी ख़ुशी एक तरफ और सिया की जी भर, कर देखने की ख़ुशी एक तरफ.......
ऐसा तो सबके साथ होता है न झूठ मत बोलना....
जिसने भी प्यार किया होगा.....
रघु को रिया आवाज लगाती है अरे रघु कहाँ है आ न यंहाँ।
तभी वो आता सब कहते कहाँ था तब वो झूठ बोलता,
एक फ़ोन आ गया था.....
तभी सब बात कर रहे हैं सिया भी सबके साथ वही पर, सब को बता रही रिया की आज सारी तैयारी इस, मोहतरमा ने की सब कुछ इसने किया है।
सिया सोच रही है ये मि झगड़ालू पता नही यंहाँ भी न, मुझ से झगड़ने लगे सब के सामने....
लेकिन पता है सिया भी उसे चोर नजरों से देख रही है सोच रही कोई देख न ले
अरे रघु था ही बहुत ही हैंडसम और स्मार्ट तो नजरें
तो उठेगी न देखने केलिए.......
फिर तो चोरी चोरी देखने का मजा ही कुछ और होता है।
क्योंकि ज़ो प्यार करते हैं वो तो हमेशा अपने प्यार को, चोरी से ही देखते हैं कहीं उनकी चोरी पकड़ी न जाय।
प्यार हो न हो बस वो दोनों एक दूसरे को देख तो रहे हैं।
जी भर कर इसी में शायद वो दोनों को ख़ुशी मिल रही होगी और दोस्ती और प्यार कि शुरुआत भी.......
क्रमशः.....
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