नई दिल्लीः भाजपा में बार-बार हो रही उपेक्षा ने गोरखपुर सांसद योगी आदित्यनाथ को आहत कर दिया है। दिल्ली की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दूसरे दिन शनिवार को तो उन्हें मोदी के इशारे पर बोलने भी नहीं दिया गया। जबकि योगी चुनाव के मद्देनजर पूरा मूड बनाकर आए थे। तैयारी इसलिए खास थी कि वे खुद को सीएम रेस में मानते हैं।
बैठक में मौजूद एक भाजपा नेता के मुताबिक जब डायस पर आने का मौका नहीं मिला तो योगी पैर पटकते हुए बैठक बीच में ही छोड़कर चले गए। दोपहर 12 बजे की फ्लाइट पकड़ी और दिल्ली से लखनऊ पहुंच गए। जिससे पार्टी मे ही उनके बगावत पर उतरने की बात कही जा रही है। दरअसल कड़क मिजाज तेवर के लिए चर्चित गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ अपनी शान में जरा भी गुस्ताखी बर्दाश्त नहीं करते। चाहे सामने मोदी ही क्यों न हो, जिनसे पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में शुमार राजनाथ सिंह भी दबते हैं। हालांकि यही तेवर योगी आदित्यनाथ का नुकसान भी करा देता है। पार्टी नेता बताते हैं कि योगी का इतना मुखर होने के चलते ही मोदी और शाह उनसे दूरी रखते हैं। इसी वजह से सीएम दावेदारों की सूची से भी उनका नाम अलग कर दिया गया है।
योगी बागी हुए तो पूर्वांचल में होगा नुकसान
सूत्र बता रहे हैं कि अगर योगी आदित्यनाथ बागी हुए तो गोरखपुर व उससे सटे पूर्वांचल के जिलों में भाजपा को चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्योंकि योगी आदित्यनाथ का आसपास की विधानसभा सीटों पर खासा प्रभाव है। दूसरे नाथ संप्रदाय से ताल्लुक रखने के कारण संतों के एक खास वर्ग का उन्हें समर्थन है।
हर बार उपेक्षा से तंग हुए योगी
पहले मोदी सरकार की कैबिनेट में योगी को सीनियर होने के बाद भी जगह नहीं मिली। फिर हाल में जब 26 वरिष्ठ नेताओं की यूपी चुनाव को लेकर गठित कोर कमेटी में भी जगह नहीं मिली। उल्टे राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बोलने भी नहीं दिया गया। जबकि योगी यूपी में खुद को सीएम दावेदार की रेस में मानते हैं। ऐसे में कहा जा रहा कि बार-बार पार्टी में हो रही उपेक्षा ने योगी को आहत कर दिया है।